विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने इस बात को लेकर दुनिया को सस्पेंस में रखा है कि भारत संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के यूक्रेन के कुछ हिस्सों को अपने देश में शामिल करने वाले आगामी प्रस्ताव पर कैसे मतदान करेगा. नई दिल्ली ने तीन प्रक्रियात्मक मामलों पर पश्चिम के साथ मतदान किया है. प्रस्ताव पर चर्चा के लिए सोमवार की सुबह हुई महासभा की बैठक में उलझन इस बात को लेकर हुई कि क्या मतदान गुप्त होना चाहिए.
रूस ने यूक्रेन पर मिसाइल से कई हमले किए हैं. प्रक्रिया संबंधी मामलों में इसने अपने तीनों वोट गंवा दिए.
यूक्रेन के चार क्षेत्रों पर रूस के कब्जे की निंदा करने वाला प्रस्ताव बुधवार या गुरुवार को महासभा में मतदान के लिए आने की उम्मीद है.
यह लगभग उस प्रस्ताव के समान है, जिसे पिछले सप्ताह रूस द्वारा सुरक्षा परिषद में वीटो कर दिया गया था.
भारत ने परिषद के मतदान में भाग नहीं लिया था.
विधानसभा में गुप्त मतदान को लेकर अल्बानिया ने सार्वजनिक वोटिंग के प्रस्ताव को रखा.
रूस की आपत्तियों के बावजूद, इसे मतदान के लिए रखा गया था और इसे 13 के मुकाबले 107 मत पड़े, जबकि 39 अनुपस्थित थे.
रूस ने तब इस मामले पर एक और वोट के लिए कहा, जिस पर महासभा अध्यक्ष कासा कोरोसी ने फैसला सुनाया, उन्होंने कहा कि सार्वजनिक वोटिंग के प्रस्ताव पर पुनर्विचार करने के लिए वोटिंग होगी, जिसे मंजूरी दी गई.
लेकिन इससे पहले कि मतदान होता रूस के स्थायी प्रतिनिधि वसीली नेबेंजिया ने कोरोसी के फैसले पर आपत्ति जता दी.
यूक्रेन के मामले में मॉस्को के अलग-थलग पड़ने के बाद, रूस को केवल 14 वोट मिले, 104 खिलाफ गए और 38 ने मतदान नहीं किया.
जब सार्वजनिक वोटिंग पर पुनर्विचार के प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा गया, तो रूस को 34 मतों के मुकाबले 16 मत मिले, जो मॉस्को की दिन की तीसरी हार थी.
कैनबरा में पत्रकारों द्वारा यह पूछे जाने पर कि रूस के यूक्रेन क्षेत्रों पर कब्जा करने के प्रस्ताव पर भारत कैसे मतदान करेगा, जयशंकर ने कहा, विवेक और नीति के मामले में, हम अपने मत की पहले से भविष्यवाणी नहीं करते हैं.
प्रक्रियात्मक मामलों पर भारत आवश्यक रूप से यूक्रेन पर रूस के आक्रमण से जुड़े महत्वपूर्ण मामलों पर मतदान में नई दिल्ली की तटस्थता में बदलाव करने के लिए प्रतिबद्ध नहीं है.
जैसा कि एक राजनयिक ने बताया, प्रक्रियात्मक वोट वास्तविक मामलों पर नहीं होते हैं और भारत पहले ही पश्चिम के साथ मतदान कर चुका है, एक बार परिषद में और दूसरी बार विधानसभा में, लेकिन मास्को की निंदा करने वाले प्रस्तावों पर अनुपस्थित रहा.
आक्रमण शुरू होने के तुरंत बाद फरवरी में संयुक्त राष्ट्र परिषद में मास्को के वीटो की प्रतिक्रिया में, महासभा ने यूक्रेन पर रूस के आक्रमण की निंदा करते हुए एक समान प्रस्ताव लिया और अपने सैनिकों को वापस लेने की मांग की. इसे 141 मतों के साथ पारित किया गया, जिसमें भारत सहित 35 देशों ने परहेज किया.
Source : IANS