मालदीव में चल रहे संकट के बीच वहां के हालात की जानकारी देने के लिये राष्ट्रपति अब्दुल्ला यमीन ने समर्थक देशों में दूत भेजे हैं। लेकिन उनके दूतों के भारत न आने की खबर पर दिल्ली में मालदीव के राजदूत ने सफाई दी है।
उन्होंने कहा है कि मालदीव के राष्ट्रपति के दूत का पहला पड़ाव भारत था लेकिन कार्यक्रम तय नहीं हो पाने के कारण वो भारत नहीं आ सके।
मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने चीन, पाकिस्तान और सऊदी अरब में अपने दूत भेजे हैं। ताकि वो वहां की राजनीतिक संकट के बारे में जानकारी दे सकें।
मालदीव के राजदूत अहमद मोहम्मद ने कहा, 'सच कहूं तो योजना के अनुसार भारत मालदीव के राष्ट्रपति के विशेष दूतों का पहला पड़ाव था। लेकिन भारतीय नेतृत्व को कार्यक्रम के तारीख को लेकर दिक्कतें थीं।'
उन्होंने कहा, 'हम समझ सकते हैं कि विदेशमंत्री देश के बाहर हैं और प्रधानमंत्री इसी हफ्ते यूएई की यात्रा पर जा रहे हैं।'
राष्ट्रपति यामीन ने आर्थिक मामलों के मंत्री मोहम्मद सईद को चीन और विदेश मंत्री मोहम्मद असीम को वहां के हालात की जानकारी देने के लिये पाकिस्तान भेजा है।
मत्स्य पालन और कृषि मंत्री मोहम्मद शाइनी को सउदी अरब भेजा गया है।
2012 में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए मोहम्मद नशीद के सत्ता में आने के बाद से कई बार राजनीतिक संकट देख चुका है।
ताजा संकट तब पैदा हुई जब वहां की सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी राजनीतिकों को रिहा करने के आदेश यह कहते हुए दिये कि उनके खिलाफ चलाए गए मुकदमे राजनीति से प्रेरित हैं और उनमें गड़बड़ियां हैं।
भारत वहां की स्थिति पर नज़र बनाए हुए है। भारत ने कहा है कि वहां आपातकाल घोषित किये जाने से वो काफी 'परेशान' है और चीफ जस्टिस और राजनीतिकों की गिरफ्तारी चिंताजनक है।
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Source : News Nation Bureau