अंतरराष्ट्रीय संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाले जाने का भारत ने स्वागत किया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि पाकिस्तान ने आतंकी फंडिंग और एंटी मनी लॉन्ड्रिंग के लिए वैश्विक चिंता से निपटने के लिए एफएटीएफ के मानकों को लागू करने पर उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिूबद्धता जताया था।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि खासकर आतंकी सगंठनों और आतंकवादियों को रोकने को लेकर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों और अंतरराष्ट्रीय निषिद्धों को मानने के लिए पाकिस्तान ने प्रतिबद्धता जताई थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि इसके बावजूद पाकिस्तान अपनी प्रतिबद्धताओं के प्रति कायम नहीं रह सका।
मंत्रालय ने कहा, 'आतंकी हाफिज सईद जैसे आतंकियों को जैसी स्वतंत्रता मिली है और उसके संगठनों जमात-उद-दावा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद को पाकिस्तान में लगातार चलने दिया जा रहा है यह दिखाता है कि वह प्रतिबद्ध नहीं है।'
विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा, 'हमें आशा है कि एफएटीएफ एक्शन प्लान समय के साथ पूरा होगा और आतंक के वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ जरूरी कदम उठाएगा।'
गौरतलब है कि वैश्विक आंतकी संगठनों पर वित्तीय प्रतिबंध लगाने के लिए प्रहरी के रूप में काम करने वाला संगठन एफएटीएफ ने पाकिस्तान को एक बार फिर से ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने का फ़ैसला किया।
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बता दें कि इससे पहले फरवरी, 2018 में पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट की निगरानी सूची में डाला गया था।
माना जा रहा है कि एफएटीएफ की वॉचलिस्ट में आने के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका पहुंच सकता है। जिससे विदेशी निवेशों का पहुंचना भी मुश्किल हो जाएगा।
इसके अलावा पाकिस्तान को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से कर्ज लेना भा मुश्किल हो सकता है।
क्या है एफएटीएफ
1989 में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को मनी लांड्रिंग और आतंकी फंडिंग जैसे खतरों से बचाने के लिए दुनिया के 37 देशों ने मिलकर इसका गठन किया था।
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Source : News Nation Bureau