भारत सरकार फाइजर / बायोएनटेक और मॉडर्ना से कोविड -19 टीके अब नहीं खरीदेगा. तीन सरकारी सूत्रों ने रायटर को बताया कि अधिक किफायती और आसानी से स्टोर होने वाले टीकों का घरेलू उत्पादन में उछाल आने की वजह से इन टीकों को नहीं खरीदा जाएगा. रॉयटर्स ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया कि "मुख्य रूप से अधिक किफायती और आसानी से स्टोर होने वाले टीकों के घरेलू उत्पादन में वृद्धि के कारण ऐसा हुआ है," हालांकि, ये विदेशी कंपनियां निजी क्षेत्रों को अपनी वैक्सीन देने के लिए स्वतंत्र हैं. इसका मतलब है कि विश्व स्तर पर लोकप्रिय टीके जो उनके निर्माताओं ने महामारी के दौरान निजी कंपनियों को नहीं बेचने का वादा किया है.
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अभी के लिए दुनिया के दो सबसे अधिक आबादी वाले देशों चीन और भारत में उपलब्ध नहीं होंगे. दो सूत्रों ने कहा कि भारत सरकार ने अपने टीके के उपयोग से किसी भी दुष्प्रभाव पर कानूनी सुरक्षा के लिए अमेरिकी कंपनियों के अनुरोधों को पूरा करने से भी इनकार कर दिया है, जो वर्तमान में केवल संयुक्त राज्य या यूरोप में बने हैं.
भारत में किसी भी कंपनी को ऐसी सुरक्षा नहीं मिली है. अप्रैल में टीके के लिए कंपनियों से भारत की अपील का जिक्र करते हुए कहा कि एक सूत्र ने कहा कि जब संक्रमण की वजह से देश में विस्फोट हुआ था उस दौरान टीके की आपूर्ति में काफी कमी थी, तब इसकी जरूरत थी. इन कंपनियों की वैक्सीन की कीमत ज्यादा होगी, आखिर हमें उनकी शर्तों पर वैक्सीन क्यों लेनी चाहिए?’ इससे पहले फाइज़र कंपनी के भारत में प्रवक्ता ने कहा था कि उनकी केंद्र सरकार के साथ बातचीत चल रही है और वो देश को वैक्सीन सप्लाई के लिए प्रतिबद्ध हैं.
कंपनी ने एकबार फिर कहा है कि महामारी के दौरान वो वैक्सीन खरीद को लेकर देशों की केंद्र सरकारों के साथ ही बातचीत करेगी. मॉडर्ना और भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से इस मामले पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है. एक दूसरे सूत्र ने कहा, सरकार फाइजर और मॉडर्न के टीके नहीं खरीदेगी. वे आवश्यक नियामक मंजूरी के बाद निजी गठजोड़ करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन संप्रभु क्षतिपूर्ति स्पष्ट रूप से कुछ ऐसा है जो हम नहीं दे सकते.
HIGHLIGHTS
- घरेलू उत्पादन में उछाल आने की वजह से लिया फैसला
- किफायती और आसानी से स्टोर होने वाले टीके पर ध्यान दे रहा भारत
- देशी कंपनियां निजी क्षेत्रों को अपनी वैक्सीन देने के लिए स्वतंत्र