भारतीय वायुसेना आज अपनी 88वीं वर्षगांठ का जश्न मना रही है. इस मौके पर आज हिंडन एयरबेस पर वायुसेना के विमान अपनी ताकत और क्षमता का प्रदर्शन करेंगे. वर्ष 1932 में भारतीय वायु सेना की स्थापना के उपलक्ष्य में वायुसेना दिवस मनाया जाता है. इस साल वायुसेना 88वीं वर्षगांठ मना रही है. हिंडन एयरबेस पर वार्षिक परेड में विभिन्न विमानों को प्रदर्शित किया जाएगा. सबसे खास बात यह है कि आज की परेड में राफेल विमान भी हिस्सा लेगा. जिस पर आज सभी की निगाहें रहेंगी.
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कोविड-19 महामारी और लद्दाख सेक्टर में सीमा पर चीन के साथ तनाव के बीच जहां वायुसेना हाई अलर्ट पर है, वहीं भारतीय वायुसेना दिवस परेड का पैमाना पिछले साल की तुलना में बड़ा होगा. जिसमें अधिक विमानों की भागीदारी होगी. पिछले साल भारतीय वायुसेना दिवस परेड में 51 विमानों की तुलना में इस साल के फ्लाईपास्ट में 56 विमान होंगे. राफेल फ्लाईपास्ट के दौरान दो अलग-अलग संरचनाओं में उड़ान भरेगा. वे पहले जगुआर और मिराज 2000 के साथ एरोहेड फोरमेशन में उड़ान भरेंगे. इसके बाद सुखोई-30 और तेजस हल्के लड़ाकू विमानों के साथ इस फोरमेशन में उड़ान भरेंगे.
इस साल विभिन्न संरचनाओं में विमानों की संख्या भी तीन से बढ़ाकर पांच कर दी गई है. राफेल के अलावा परेड में हिस्सा लेने वाले फाइटर जेट्स में सुखोई-30, जगुआर, मिराज 2000, मिग -29, मिग -21 बाइसन और तेजस शामिल हैं. फ्लाईपास्ट के दौरान विभिन्न संरचनाओं में उड़ने वाले परिवहन विमानों में सी -17 हैवी लिफ्टर और सी-130 विशेष ऑपरेशन एयरक्राफ्ट शामिल होंगे. फ्लाईपास्ट में चिनूक मल्टी-मिशन हेलिकॉप्टर, अपाचे हमले हेलीकॉप्टर और एमआई -35 गनशिप भी होंगे.
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उल्लेखनीय है कि राफेल 4.5 पीढ़ी का लड़ाकू विमान है. दोहरे इंजन ओम्नीरोल के साथ हवाई टोही, सटीकता से वार, जहाज रोधी और परमाणु संपन्न, हथियारों से लैस है. वायु सेना में औपचारिक रूप से 10 सितंबर को पांच राफेल लड़ाकू विमान शामिल किए गए थे. इससे देश की वायु क्षमता में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है. बहु-उद्देश्यीय भूमिका में कामयाब राफेल विमानों को सटीकता से हमला करने और वायु क्षेत्र में दबदबा कायम करने के लिए जाना जाता है. पांच राफेल विमान की पहली खेप 29 जुलाई को फ्रांस से भारत आ गई थी. नवंबर तक चार से पांच और राफेल लड़ाकू विमानों के आने की संभावना है.