भारतीय वायुसेना की ताकत में बड़ा इजाफा हो सकता है. उसके सी-17 ग्लोबमास्टर स्ट्रैटिजक विमान में खतरनाक हथियार लगाया जा सकता है. यह हथियार हाइपरसोनिक रिवाल्वर सिस्टम है. एक वीडियो में इसके डेमो को दिखाया गया है कि आने वाले समय में इस हथियार का उपयोग प्रमुखता से किया जा सकता है. इस रिवाल्वर की खासियत है कि ये एक साथ कई मिसाइल फायर कर सकता है. अगर कार्गो और परिवहन के लिए उपयोग में होने वाले विमानों में इस तरह के हथियारों का प्रयोग होता है. यह एक बड़ी उपलब्धी होगी. इस वीडियो को देखते ही दुनिया भर में खलबली मच गई है, क्योंकि ये किसी आम रिवॉल्वर की तरह काम नहीं करती है. इस रिवॉल्वर की खासियत ये है कि इसमें पीछे से मिसाइल निकलेगी.
देश अगर इस तकनीक का उपयोग सी-17 ग्लोबमास्टर विमानों में करता है तो भारतीय वायुसेना की ताकत में कई गुना इजाफा होगा. चीन और पाकिस्तान पर गहरा प्रभाव होगा. पहले ये जानने की कोशिश करते हैं ये हाइपरसोनिक मिसाइल रिवॉल्वर किस तरह से काम करती है.
क्या है हाइपरसोनिक मिसाइल रिवॉल्वर?
आम तौर पर रिवॉल्वर से गोलियां बाहर निकलती हैं. मगर बोइंग की इस रिवॉल्वर से मिसाइलें बाहर की ओर जाएंगी. इसे ड्यूल ड्रम डिजाइन वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कैटापॉल्ट मैकेनिज्म बताया गया है. यह एक गुलेल की तरह से काम करने वाला हथियार होगा. यह रिवाल्वर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक गुलेल की तरह होगी. इसमें मौजूद मिसाइलें तेजी से पीछे की ओर निकलेंगी और फिर तेजी से आगे बढ़ेंगी.
विमान से बाहर निकलने के बाद ये मिसाइल सक्रिय हो जाती हैं. इसके बाद ये अपने लक्ष्य की ओर बढ़ती हैं. डेमो वीडिया में इस तरह का नजारा देखा जा सकता है. बोइंग ने इस मैकेनिज्म में X-51A Waverider हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का उपयोग करके दिखाया है. यह मिसाइल मैक-5 या उससे ऊपर की रफ्तार तक जाती है.
यह एक प्रायोगिक मिसाइल है
इस मिसाइल को बोइंग कंपनी ने बनाया है. यह एक प्रायोगिक मिसाइल है. इसकी रफ्तार 5300 किलोमीटर प्रतिघंटा की है. यह अधिकतम 70 हजार फीट यानी 21 किलोमीटर की ऊंचाई तक पहुंच सकती है. इसकी पहली सफल उड़ान 26 मई 2010 को हुई है. इस मिसाइल को अमेरिकी वायुसेना में उपयोग किया जाता था. मगर 2013 में इसे रिटायर कर दिया गया. बोइंग ने इस तरह की केवल चार मिसाइलों को तैयार किया था. हालांकि यह रिवाल्वर सिस्टम नया है. इसमें इसी तरह की मिसाइल को दागा जा सकता है.
भारत के पास 11 सी-17 ग्लोबमास्टर 3 विमान हैं. भारतीय वायुसेना के पास अभी लंबी दूरी के बमवर्षक मौजूद नहीं है. यह चीन के पास है. रूस के पास है. चीन अब स्टेल्थ बॉम्बर को तैयार कर चुका है. अगर यह रिवॉल्वर सिस्टम भारत के सी-17 ग्लोबमास्टर विमानों में लगा दिया जाए तो इससे काफी हद तक फायदा होगा. इससे लंबी दूरी पर हमला करना आसान हो जाएगा. भारत को विदेश से मिसाइल को खरीदने की आवश्यकता नहीं है. DRDO खुद हाइपरसोनिक मिसाइल तैयार कर चुका है. रिवॉल्वर सिस्टम विदेशी हो सकता है, मगर उसमें देश में बनी स्वदेशी मिसाइल लग सकेंगी.
Source : News Nation Bureau