भारतीय और चीनी विदेश मंत्रियों के विवादित सीमा (Border Dispute) पर तनाव कम करने के लिए सहमत होने के बावजूद, दोनों देशों की सेना पूर्वी लद्दाख (Ladakh) की पैंगोंग झील (Pangong Tso) के पास चार स्थानों पर राइफल रेंज यानी चंद कदमों की दूरी पर हैं. सेना एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी दी. चिंता की बात यह है कि कम से कम एक जगह पर दोनों सेनाएं बिल्कुल आमने-सामने हैं. यह वही जगह है, जहां सैन्य-स्तरीय वार्ता के बाद सैनिक पीछे हटे थे. अब दोनों सेनाओं के बीच आमने-सामने की स्थिति ऐसे समय में हुई है, जब चीन की ओर से अगले वरिष्ठ सैन्य-स्तरीय वार्ता की तारीख का संकेत देना बाकी है.
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फिंगर-3 और 4 पर आमने-सामने
सूत्र ने कहा, 'इन स्थानों पर सेना और सामग्री कुछ मीटर की दूरी पर हैं.' उन्होंने कहा कि वे झील के दक्षिणी किनारे पर तीन स्थानों पर तैनात हैं, जबकि उत्तर में एक स्थान पर तैनात हैं. उत्तरी तट पर सेनाएं फिंगर-3 और फिंगर-4 के बीच एक दूसरे का सामना कर रही हैं, जहां दोनों सेनाओं द्वारा हवा में चेतावनी के तौर पर फायरिंग भी की जा चुकी है. वहीं झील के दक्षिणी किनारे पर सेना स्पंगगुर गैप, मुखपारी और रेयांग ला में कुछ मीटर की दूरी पर हैं.
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पहले भी हो चुकी है फायरिंग
चीन ने पहले उत्तेजक सैन्य कदम उठाए, जिसके बाद भारत ने भी इन स्थानों पर अपने सैनिक तैनात कर दिए. इन दो स्थानों पर दोनों देशों के सैनिकों ने एक-दूसरे को डराने के लिए चेतावनी के तौर पर हवा में फायरिंग भी की. चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने इस महीने की शुरूआत में फिंगर-3 और फिंगर-4 के बीच के क्षेत्र पर कब्जे के प्रयास किए, जिसके कारण हवा में लगभग 200 राउंड फायरिंग हुई. इसके बाद दोनों सेनाएं अब कुछ सौ मीटर की दूरी पर हैं.
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हिंसक संघर्ष के बाद बढ़ा तनाव
पीएलए के सैनिकों ने भाले और बंदूकों से लैस होकर 14 जून को गलवान घाटी में एक मध्ययुगीन शैली की लड़ाई शुरू करने की कोशिश की थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. इस हिंसक झड़प में कुछ चीनी सैनिक भी हताहत हुए थे. भारत ने चीन से पैंगोंग त्सो से अपने सैनिकों को पूरी तरह से हटाने के लिए कहा है, लेकिन चीन ने हिलने से इनकार कर दिया है. दोनों देशों की सेनाओं के बीच पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चार महीने से गतिरोध बना हुआ है. कई स्तरों के संवाद के बावजूद कोई सफलता नहीं मिली है और गतिरोध जारी है.