भारतीय सेना ने गलवान घाटी संघर्ष की पहली बरसी पर एक वीडियो जारी किया है. बता दें कि गलवान घाटी में चीनी आक्रमण से लड़ते हुए 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. ठीक एक साल पहले चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास गलवान घाटी में अपने इरादों को अंजाम देने की कोशिश की, मगर भारत ने ऐसा पलटवार किया कि ड्रैगन को अपने घाव दिखाने नहीं बने. पिछले साल, आज ही के दिन विस्तारवादी नीति को लेकर चलने वाले चीन की चालपट्टी और नापाक कोशिश को भारतीय जवानों ने नाकाम कर दिया था. सैनिकों ने चीन की बिना उकसावे वाली सैन्य आक्रामकता का करारा जवाब दिया. गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प को आज एक साल पूरे हो गए हैं.
#WATCH Indian Army releases a video on the first anniversary of the Galwan Valley clash in which 20 Indian soldiers were killed while fighting Chinese aggression pic.twitter.com/ykJhcXrgxg
— ANI (@ANI) June 15, 2021
पिछले साल 15 जून को गलवान घाटी में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई थी, जिसमें 20 भारतीय सैनिक शहीद हो गए. चीन को भी भारी नुकसान पहुंचा, मगर उसने आधिकारिक तौर पर सिर्फ 4 सैनिकों के मारे जाने की पुष्टि की. हाथ की हाथ आपको यह भी बता दें कि चीन हमेशा से अपने यहां की स्थिति को उजाकर नहीं करता है. कभी भी सैनिकों के मरने की जानकारी नहीं दी. मगर गलवान की झड़प के बाद चीन ने अपने नुकसान की जानकारी दी. अमेरिका की एक खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक चीन के 35 सैनिक मारे गए थे.
वहीं, पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प को सालभर बीत जाने के बाद भी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर हालात नहीं सुधरे हैं. दोनों तरफ से सेनाएं मिरर डिप्लॉयमेंट में तैनात हैं और लाख से ज्यादा सैन्य बल एक दूसरे के आमने सामने हैं, जो कभी भी नए टकराव और युद्ध के हालात पैदा कर सकते हैं. अब तक दोनों देशो के बीच 11 राउंड की कमांडर स्तर की बातचीत तो वहीं 21 राउंड की राजनयिक स्तर पर WMCC की बातचीत हो चुकी है. 10 फरवरी को हुए लिखित समझौते के मुताबिक दोनों देश की सेनाओं को यथास्थिति बहाल करने के लिये पीछे हटना था, लेकिन चीन ने सिर्फ पेंगोंग और फिंगर एरिया से अपनी सेना को पीछे हटाया. जबकि गोग्रा, हॉट स्प्रिंग और देपसांग में सेनाएं जस की तस आमने सामने खड़ी है.
समझौते के अनुसार, भारत ने भी स्ट्रेटेजिक रूप से महत्वपूर्ण कैलाश हाइट से अपनी सैन्य टुकड़ी उतारी. लेकिन धोखबाजी में माहिर चीन ने गोग्रा, होटप्रिंग और देपसांग में अपनी सेना को पीछे हटने नहीं दिया. जिसके चलते भारतीय सेना ने चीन की नीयत में खोट को देखते हुये डीएसकैलेशन पर जोर नहीं दिया यानी सेना न तैनाती से हटी और ना ही अपने बैरक में लौटी और इस तरह अपने मोर्चे सेना तैनात है. चीन को दगाबाजी और धोखे के इतिहास को देखते हुये भारत ने डीएसकैलेशन न करने का जो फैसला लिया, वह समय के साथ सही साबित होता दिख रहा है.
HIGHLIGHTS
- 15 जून को गलवान घाटी में भिड़े थे सैनिक
- अप्रैल 2020 में शुरु हुआ था गतिरोध
- दोनों देशों में बन गए थे युद्ध जैसे हालात