एक तरफ रक्षा मंत्रालय (Defence Ministry) छोटी सेवा या टूर ऑफ ड्यूटी के लिए जवानों की भर्ती प्रक्रिया शुरू करने को हरी झंडी दे सकता है. यह प्रस्ताव सबसे पहले 2020 में लाया गया था. दूसरी तरफ भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) ने इतनी बड़ी आबादी के बावजूद थलसेना (Indian Army) में भर्तियों के कम होने पर चिंता जाहिर की है. कैग ने बेहद गंभीर टिप्पणी करते हुए कहा कि इतनी अधिक युवा आबादी वाले देश में सेना के लिए योग्य उम्मीदवार ढूंढ़ने में असमर्थता सही नहीं है. इस कमी के लिए जिम्मेदार कारणों का पता लगा कर उनमें तुरंत सुधार लाना वक्त की जरूरत है.
टूर ऑफ ड्यूटी देगी सैन्य जीवन का अनुभव
सूत्रों के मुताबिक टूर ऑफ ड्यूटी के तहत चयनित उम्मीदवारों को अधिकारी या अन्य रैंक के रूप में राष्ट्र की सेवा करने का मौका मिलेगा. शुरुआत में रिक्तियों की संख्या लगभग 100 होगी, जिसे बाद में बढ़ाया जा सकता है. यह इजरायल जैसे कुछ देशों की तरह सैन्य भर्ती नहीं होगी. एक टूर ऑफ ड्यूटी अधिकारी प्रति माह लगभग 80,000 से 90,000 रुपये कमाएगा. यह एक स्वैच्छिक जुड़ाव होगा. हालांकि इसके लिए पूर्व निर्धारित चयन मानदंड में कोई कमी नहीं होगी. सेना इसे भारतीय युवाओं के लिए लंबे समय तक सशस्त्र बलों में शामिल हुए बिना सैन्य जीवन का अनुभव करने के अवसर के रूप में देख रहा है. यह उन लोगों के लिए भी एक अवसर होगा, जो एक पेशे के रूप में सेना में शामिल नहीं होना चाहते हैं, लेकिन एक अस्थायी अवधि के लिए सैन्य जीवन का अनुभव करना चाहते हैं.
यह भी पढ़ेंः BMC का फरमान... मराठी भाषा में हों दुकानों के साइन बोर्ड, बाकी भाषा बाद में
युवा आबादी वाले देश में योग्य उम्मीदवारों की कमी चिंतनीय
इस बीच कैग ने थलसेना में भर्तियां कम होने पर चिंता प्रकट की है. समिति ने टिप्पणी की है कि अधिक युवा आबादी वाले देश में सेना के लिए योग्य उम्मीदवार ढूंढने में असमर्थता संतोषजनक स्थिति नहीं है. कैग ने कहा कि युवाओं के लिए शॉर्ट सर्विस कमीशन को ज्यादा लाभदायक बनाया जाना चाहिए. इसे प्रोत्साहित करने के लिए एक सोची समझी या सुविचारित रणनीति की रूपरेखा प्रस्तुत की जानी चाहिए. इसके साथ ही कैग ने महिलाओं अधिकारियों की भर्ती के नियमों की भी समीक्षा पर जोर दिया है. संसद में बुधवार को पेश कैग की रिपोर्ट थल सेना में अधिकारियों के चयन में प्रशिक्षण की लेखा परीक्षा में यह बात कही गई है.
यह भी पढ़ेंः आज IGL ने फिर दिया CNG पर झटका, अब इतने रुपये बढ़ी कीमत
जनवरी 2019 तक 14.71 फीसद अधिकारियों की कमी
कैग की चिंता सिरे से खारिज नहीं की जा सकती है. आंकड़ों की भाषा में बात करें तो जनवरी 2019 तक सेना में अधिकारियों की 14.71 फीसदी की कमी थी, जबकि सहायक संवर्ग में जितनी रिक्तियां निकाली गईं उतनी भर्तियां नहीं की हो नहीं सकीं. 2014-18 के बीच रिक्तियों की संख्या 830-1180 के बीच थी, जबकि इसके आलोक में भर्तियां 522 एवं 607 ही हो सकीं. जाहिर है हर साल के लिहाज से भर्ती होने वाले उम्मीदवारों की संख्या में कमी आई है. इसकी वजह एसएससी (तकनीकी) एवं गैर तकनीकी, राष्ट्रीय कैडेट कोर और शॉर्ट सर्विस कमीशन से उम्मीदवारों का कम चुना जाना प्रमुख वजह रही. कैग रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सेवा प्रविष्टियों के माध्यम से भी कम भर्तियां हुईं. कैग रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2020 तक थलसेना में कुल 1648 महिला अधिकारी थी, जो कि कमीशन अधिकारियों की कुल संख्या का महज चार फीसदी था. यही नहीं, महिला उम्मीदवारों की संख्या उनके लिए उपलब्ध रिक्तियों से कहीं अधिक थी. महिलाओं के लिए चार प्रवेश पाठ्यक्रमों में लगभग शत-प्रतिशत उम्मीदवारों के नाम थे.
HIGHLIGHTS
- रक्षा मंत्रालय तीन साल की अवधि के लिए शुरू कर सकता है सेना में भर्तियां
- इस बीच कैग ने अपनी रिपोर्ट में योग्य उम्मीदवारों की कमी पर जताई चिंता
- भारतीय थल सेना जूझ रही है अधिकारियों की कमी से, 14.71 फीसद कमी