भारत-चीन सीमा पर 2020 से ही गतिरोध बना हुआ है.ऐसे में भारतीय वायु सेना और थल सेना के शीर्ष अधिकारी चीन के साथ लगी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर संवेदनशील स्थानों पर मौसम में बदलाव को देखते हुए सैनिकों की सुगम तैनाती और इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरतों की समीक्षा करने के लिए बैठकें करने जा रही हैं. भारतीय थल सेना और वायु सेना के शीर्ष अधिकारी चीन के साथ सीमा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपनी तैयारियों और बुनियादी ढांचे से संबंधित जरूरतों की समीक्षा करेंगे.पूर्वी लद्दाख में कई बिंदुओं पर भारत और चीन की सेनाओं के बीच गतिरोध की स्थिति बनी हुई है.
वायु सेना के शीर्ष अधिकारी उत्तरी सीमा पर एयर ऑपरेशन समेत सुरक्षा स्थिति पर चर्चा करने के लिए छह अप्रैल से बैठक की शुरुआत करेंगे.वहीं, थल सेना अध्यक्ष जनरल एमएम नरवणे की अगुवाई में सेना के कमांडर 18 अप्रैल से द्विवार्षिक कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में स्थिति पर विमर्श करेंगे।
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कॉन्फ्रेंस के दौरान पूर्वी लद्दाख और उत्तर-पश्चिमी सेक्टरों में वर्तमान तैनातियों की समीक्षा की जाएगी.सेना के शीर्ष अधिकारियों ने हाल ही में लखनऊ में हुई एक कॉन्फ्रेंस के दौरान संयुक्त रूप से लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरतों और को लेकर चर्चा की थी।
साल 2020 में अप्रैल-मई में चीनी सैनिकों की ओर से आक्रामकता का प्रदर्शन किए जाने के बाद भारत ने अपनी तैनातियों में कई बदलाव किए हैं.दोनों देश सीमा विवादों के समाधान के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर की वार्ताएं कर रहे हैं.कई जगहों पर विवाद सुलझा भी लिया गया है.
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के हल के लिए पिछले महीने 15वें दौर की वार्ता हुई थी.चीन ने इस वार्ता को सकारात्मक और रचनात्मक बताया था.पड़ोसी देश ने कहा था कि आपसी बातचीत से विवाद सुलझाने पर सहमत हुए हैं और तीसरे पक्ष के हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करते हैं.
जनरल एमएम नरवणे ने 30 मार्च को चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा पर भारत की सैन्य तैयारियों का जायजा लिया था.उन्होंने अफगानिस्तान की स्थिति के राष्ट्रीय सुरक्षा पर संभावित प्रभावों की भी व्यापक समीक्षा की थी.इस बैठक में तीनों सेनाओं के वरिष्ठ कमांडरों शामिल हुए थे.