Indian China Conflict : भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की जिम्मेदारी भारत और चीन के बीच की सीमाओं की रक्षा करने की है, लिहाजा इस फोर्स के जवानों को हिमालय में काम करने के कारण हिमवीर भी कहा जाता है. इस एक्सरसाइज के तहत चीन की सेना के साथ टकराव की स्थिति का अभ्यास किया जा रहा है. ठीक वैसे ही जैसे 9 दिसंबर को तवांग और इससे पहले गलवान एवं डोकलाम में भी देखने को मिला था.
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दरअसल, भारत और चीन के बीच कोई बॉर्डर (Indian China Conflict) पिलर या बॉर्डर फेंसिंग नहीं है. दोनों देशों के बीच नो मैन लैंड यानी ऐसा बफर जोन है, जहां PP यानी पेट्रोलिंग प्वाइंट तक दोनों देशों के जवान long-range पेट्रोलिंग करने तो पहुंच सकते हैं, लेकिन वहां कोई परमानेंट ऑब्जरवेशन पोस्ट या इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बना सकते. यह सुनिश्चित करने के लिए चीन ने इस बफर जोन का अतिक्रमण नहीं किया है, लगातार आईटीबीपी और भारतीय थल सेना के जवान कई मील पहाड़ी क्षेत्र में चलकर long-range पेट्रोलिंग को अंजाम देते हैं.
1996 में भारत और चीन के बीच एक समझौता हुआ था, जिसके बाद दोनों देश के जवान सीमाओं पर हथियारों का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं. ऐसी परिस्थिति में मानव श्रृंखला बनाकर एक दूसरे को रोकने का प्रयास किया जाता है. इसके लिए बहुत तेज गति से मिरर डेप्लॉयमेंट करनी पड़ती है. यानी दुश्मन देश के जितने जवान जिस इलाके में मौजूद हैं, उन्हें रोकने के लिए भारत की उतने ही जांबाज उस क्षेत्र में पहुंचेंगे और तब भारतीय जवानों का सामना पीएलए बॉर्डर गार्डिंग फोर्थ से होता है.
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किसी भी अतिक्रमण के प्रयास को विफल करने के लिए भारतीय सशस्त्र बल के जवान सीमाओं पर पहुंच जाते हैं. जहां पहले अधिकारियों के द्वारा चीनी सेना को समझाने की कोशिश की जाती है और अगर वह नहीं मानते तो, मानव श्रृंखला बनाकर धक्का-मुक्की यहां तक की गुथम-गुथा होने की नौबत आ जाती है.
चीनी सेना को उनकी हद याद दिलाने के लिए बकायदा एक बड़ा बैनर बनाया जाता है, जिसमें अंग्रेजी के साथ-साथ चीन की भाषा मेंनडरीन में भी लिखा जाता है कि यह सरजमी मां भारती की है, लिहाजा चीन की सेना पीछे हट जाए और इसी ड्रिल को अंजाम देते हुए नजर आ रहे हैं आइटीबीपी के हिमवीर.
रिफ्लेक्श शूटिंग का अर्थ होता है, एक गोली एक निशाना इसमें 2-2 के समूह में कमांडो शूटर को बांटा जाता है. 3 सेकंड के लिए किसी भी दिशा से भी टारगेट आता है, जिसमें दाएं के टारगेट को पहले और बाएं के टारगेट को दूसरे कमांडो द्वारा एक गोली से निशाना बनाना होता है. इसके जरिए शहरी क्षेत्र में आतंकियों के खिलाफ मुठभेड़ की स्थिति में कार्यकुशलता पुख्ता की जाती है. कई बार टारगेट के आगे सिविलियन को भी दिखाया जाता है, जिसमें सिविलियन की जान बचाते हुए आतंकियों की सिर पर निशाना मारना पड़ता है. 300 मीटर दूर टारगेट को न्यूट्रलाइज करने के लिए असाल्ट राइफल का इस्तेमाल किया जाता है, जिसमें AK47, इंसाज बरेटा, x95 आदि एसॉल्ट राइफल के जरिए प्रैक्टिस की जाती है.
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जवानों का कहना है कि एक परिवार उनके गांव में रहता है और दूसरा परिवार उनका साथी है, जो सरहद पर सीमाओं की निगरानी करते हैं. आज हम एक परिवार से दूर हैं, लेकिन जवानों के परिवार के साथ हैं. हमें अपने घर-घरवालों की याद आती है, लेकिन जब कसम मां भारती की सीमाओं की सुरक्षा के लिए खाई हो तो, सरहद पर ही नए साल का उत्सव मनाना लाजमी हो जाता है. (Indian China Conflict)