चीन से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव के बीच मोदी सरकार आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत सेनाओं के तीनों अंगों को हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार कर रही है. भविष्य के युद्ध उन्नत हथियारों के साथ-साथ मानवरहित ड्रोन तैयार करने पर काम भी चल रहा है. इस कड़ी में बेहद उन्नत हथियारों से लैस ड्रोन अब भारत में ही तैयार किए जाएंगे. इसके लिए पूरा खाका तैयार कर लिया गया है. रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) इस किस्म के ड्रोन सेनाओं के तीनों अंगों के लिए बनाएगा. हालांकि तात्कालिक जरूरतों के लिए अभी भारत 30 अत्याधुनिक ड्रोन अमेरिका से खरीदने जा रहा है.
अगले एक दशक में ड्रोन उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा भारत
रक्षा सूत्रों के अनुसार अगले एक दशक में देश में सशस्त्र ड्रोन तैयार कर लिए जाएंगे. डीआरडीओ की कई प्रयोगशालाएं इस पर काम शुरू कर चुकी हैं. इस परियोजना के तहत डीआरडीओ मौजूदा मानवरहित विमानों खासकर रुस्तम जी-2 को सशस्त्र ड्रोन के रूप में परिवर्तित करेगा. इसके अलावा नये ड्रोन प्लेटफॉर्म भी तैयार किए जाएंगे. सशस्त्र ड्रोन दुश्मन पर बम और मिसाइलों से हमले करने में सक्षम होंगे. सशस्त्र ड्रोन 100 किमी या इससे अधिक दूरी तक हमला करने में सक्षम होंगे. सूत्रों ने कहा कि तात्कालिक जरूरतों की पूर्ति के लिए अमेरिका से 30 सशस्त्र प्रीडेटार ड्रोन खरीदे जाएंगे जिनमें से 10-10 प्रत्येक सैन्य बलों को दिए जाएंगे. इनकी कीमत लगभग तीन अरब डॉलर बैठने का अनुमान है.
यह भी पढ़ेंः दिल्ली में Omicron के 2 और केस मिले, देश में कोविड के 6,563 नए मामले दर्ज
भारी तबाही मचाते हैं उन्नत ड्रोन
दरअसल पारंपरिक युद्ध में आधुनिक हथियारों समेत उन्नत ड्रोन का महत्व तेजी से बढ़ रहा है. शुरुआती स्तर पर ड्रोन निगरानी एवं जासूसी के लिए इस्तेमाल होते थे, लेकिन अब यह दुश्मन के घर में घुसकर तबाही मचाने के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं. सामरिक जानकारों का कहना है कि आने वाले समय में तमाम युद्ध ऐसे ही बिना पायलट वाले हथियारों से लैस छोटे विमानों और ड्रोन के जरिये लड़े जाएंगे. हाल में नौसेना प्रमुख आर हरिकुमार ने भी जोर देकर कहा कि हथियारबंद ड्रोन देश में ही तैयार किए जाएंगे.
HIGHLIGHTS
- अभी भारत 30 अत्याधुनिक ड्रोन अमेरिका से खरीदने जा रहा
- एक दशक में डीआरडीओ ही तैयार करने लगेगा सशस्त्र ड्रोन
- ड्रोन दुश्मन पर बम और मिसाइलों से हमला करने में सक्षम