नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल, आर्थिक मोर्चे पर कैसा रहा 'नमो' का राज

साल 2014, नरेंद्र मोदी सरकार को विरासत में देश की लचर अर्थवयवस्था मिली थी जिसे विकास की राह में दौड़ाना तो दूर सही ट्रैक पर लाना ही एक कड़ी चुनौती थी। लेकिन आज स्थिति बिल्कुल उलटी है।

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Shivani Bansal
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नरेंद्र मोदी सरकार के तीन साल, आर्थिक मोर्चे पर कैसा रहा 'नमो' का राज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के तीन साल (फाइल फोटो)

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26 मई 2014, यह वो दिन था जब केंद्र की सत्ता में 14 साल बाद बीजेपी ने वापसी की और नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से कॉंग्रेस के 60 साल के एवज में बीजेपी के लिए 60 महीनों की मांग की। 

प्रधानमंत्री ने आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर वापस दौड़ाने के लिए, कालाधन और भ्रष्टाचार से देश को आज़ाद करने की अपील की थी जिसके एवज में देश ने उन पर भरोसा जताया और मोदी लहर का जादू चल गया।

साल 2014, नरेंद्र मोदी सरकार को विरासत में देश की लचर अर्थवयवस्था मिली थी जिसे विकास की राह में दौड़ाना तो दूर सही ट्रैक पर लाना ही एक कड़ी चुनौती थी। लेकिन आज स्थिति बिल्कुल उलटी है।

नोटबंदी के बाद भारत में नवंबर-दिंसबर तिमाही में भारत की जीडीपी 7.2 प्रतिशत दर्ज की गई थी और चालू वित्त वर्ष में इसके 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया जा रहा है। जबकि 2014 में जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी थी तो देश की जीडीपी कुल 4.7 प्रतिशत थी। 

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ग्लोबल अस्थिरता के माहौल में इसे वापस ऊंचाई पर लाना एक बड़ी चुनौती थी। ऐसे में आर्थिक सुधारों की दशा में मोदी सरकार ने कैसे आगे कदम बढ़ाएं और किन चुनौतियों का सामना किया, इसकी बानगी देखते हैं इस रिपोर्ट में।

इन तीन सालों में मोदी सरकार के तेज़ तर्रार कार्यशैली मीडिया, आलोचकों विपक्षीयों और आम जनता के बीच चर्चा का विषय बनी रही है।

नोटबंदी 

6 नवंबर 2016, यह वो तारीख है जो देश का आमो-ख़ास आदमी कभी नहीं भूल पाएगा। नरेंद्र मोदी सरकार के बीते 3 सालों के शासनकाल के दौरान सबसे अह्म और निर्णायक फैसला, नोटबंदी का।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नोटबंदी की घोषणा ने देश के प्रत्येक व्यक्ति ने मुश्किल से 2 महीने गुज़ारे। पैसों की किल्लत ने लोगों को एक बार फिर 'मोदी-मोदी' बोलने को मजबूर कर दिया। कुछ लोगों ने खुशी से तो कुछों ने दुख से लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का नाम 2 महीने सबकी जुबां पर रहा।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस कड़े और बड़े फैसले के बचाव में कई दलीलें रखीं और इसकी ज़रुरत पर ज़ोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार के इस कदम से भ्रष्टाचार, आतंकवाद और कालेधन पर करारी चोट लगेगी। यह कितना संभव हुआ यह एक अलग विषय है बहरहाल लोगों को मोदी जी ने मना ही लिया।

कैशलेस इंडिया 

इसी दौर में अचानक देश की अर्थव्यवस्था के रुके पहिए को पटरी पर चलाने के लिए मोदी सरकार ने मंत्र दिया 'कैशलेस इंडिया' का। प्रधानमंत्री मोदी के डिजिटल इंडिया मिशन के अंतर्गत कैशलैस इंडिया मिशन ज़ोर पकड़ने लगा, कम से कम शहरी भारत में तो इसका ज़ोरदार असर हुआ।

नोटबंदी का हालांकि भारत की जीडीपी ज़्यादा असर नहीं हुआ और दो महीने के झटके के बाद ही तुरंत विकास दर पटरी पर लौटती दिखाई दी।

आर्थिक गति बढ़ाने के लिहाज से मोदी सरकार के अहम फैसले 

यह एक रिसर्च का विषय है कि कैसे नोटबंदी के बाद भारत की अर्थव्यवस्था स्थिर बनी रही और देश अर्थतंत्र में क्यों कोई बड़ा बदलाव नहीं आया। लेकिन फिर भी इसे समझने के लिए थोड़ा पीछे जाकर मोदी सरकार की अहम योजनाओं का आकंलन किया जा सकता है।

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कालेधन के खिलाफ गठित 'एसआईटी' 

देश के प्रधानमंत्री पद की कमान संभालने के बाद पहली ही कैबिनेट बैठक में नरेंद्र मोदी सरकार ने कालेधन के खिलाफ एसआईटी टीम का गठन किया। जिसे की मोदी सरकार के भ्रष्टाचार की लड़ाई के लिए एक अहम कदम माना गया।

जन धन योजना 

वित्तीय समावेशन की दिशा में उठाए गए इस कदम जनधन योजना के माध्यम से सरकार ने कोने-कोने में ग़रीब से ग़रीब लोगों को बैंकिंग की मुख्य धारा से जोड़ा। इसके अंतर्गत अब तक देश में करीब 11 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं और अब तक इन खातों में करीब 33,000 करोड़ रुपये जमा किए जा चुके हैं।

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मेक इन इंडिया 

इसके तह्त भारत सरकार की कोशिश देश को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाने की है। योजना के अंतर्गत सरकार की कोशिश इंडस्ट्रियल प्रोग्रेस को बढ़ावा और रोजगार मुहैया कराने की है। साथ ही देश में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करना भी है।

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पहल योजना

इस योजना का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज की गई है। यह सबसे अधिक चर्चित योजना है। इसे डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर फॉर एलपीजी (डीबीटीएल) स्कीम योजना है। इस स्कीम के तह्त लोगों को एलपीजी पर दी जाने वाली सब्सिडी डायरेक्ट उनके बैंक एकाउंट से लिंक कर दी गई है।

इसके ज़रिए एलपीजी गैस की कालाबाज़ारी करने वालों पर लगाम लगाने की कोशिश की गई है।

मुद्रा योजना

देश में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार ने माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) स्कीम की घोषणा की। इसके तह्त सरकार कारोबार शुरु करने के लिए लोन मुहैया कराती है।

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इसके अंतर्गत सरकार तीन तरह के लोन मुहैया कराती है, शिशु, किशोर और तरुण लोन। 50 हज़ार रुपये तक के लोन को शिशु लोन की कैटेगरी में रखा गया है जबकि 50 हज़ार से 5 लाख तक के लोन को किशोर कैटेगरी में और 5 लाख से 10 लाख रुपये तक के लोन को तरुण लोन कहा जाता है।

छोटे एवं मध्यम कारोबार और स्टार्टअप्स को बढ़ावा देने के लिए यह योजना लॉन्च की गई थी।

प्रधानमंत्री आवास योजना 

यूं तो यह योजना सीधे तौर पर सोशल रिफॉर्म से जुड़ी है लेकिन प्रधानमंत्री की हाउसिंग फॉर ऑल स्कीम से देश की मुश्किल में फंसी रियल एस्टेट इंडस्ट्री को भी बूस्ट मिला है और जिसका असर सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था को होगा। योजना के तह्त सरकार की कोशिश साल 2022 तक देश के सभी लोगों को अपना घर देने की है।

डिजिटल इंडिया मिशन

डिजिटल इंडिया के माध्यम से मोदी सरकार ने देश में डिजिटल क्रांति ला दी है। इसके ज़रिए सरकार की कोशिश देश के कोने-कोने में इंटरनेट की पहुंच उपलब्ध कराना है और देश को डिजिटल बनाना है।

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स्किल इंडिया मिशन

इसके ज़रिए सरकार की कोशिश कौशलता को बढ़ावा देना है। योजना के ज़रिए सरकार लोगों को कुशलता के लिए प्रशिक्षण के साथ ही रोजगार भी देती है। इस योजना के लिए सरकार ने ब्रांड एंबेसडर सचिन तेंदुलकर को चुना और एक ही दिन बाद 16 जुलाई 2015 को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना लागू की, इसका मकसद भी लोगों को कौशल बनाना और रोजगार दिलाना है।

सागरमाला प्रोजेक्ट

पोर्ट्स (बंदरगाहों) का विकास करने के लिए ७ हज़ार करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। मॉर्डन वर्ल्ड क्लास बंदरगाह बनाने की तैयारी है।

स्टार्टअप इंडिया योजना 

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यह योजना स्टार्ट अप्स को बढ़ावा देने के लिए लाई गई है। इसके तह्त स्टार्ट अप्स के शुरुआती ३ साल पर टैक्स नहीं लगता और इसके अलावा सरकार वित्तीय मदद भी देती है। स्टार्ट अप को सहारा देने के लिए सरकार ने 10 हज़ार करोड़ रुपये का सहायता फंड बनाया है जिसमें से प्रति वर्ष 2500 करोड़ रुपये स्टार्ट अप को मदद देने के लिए खर्च करने का प्रावधान रखा गया है।

डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम फॉर कैरोसिन 

एलपीजी की तर्ज पर ही कैरोसिन के लिए भी सरकार ने डायरेक्ट सब्सिडी देने के लिए इस स्कीम की शुरुआत की है।

स्टैंड अप इंडिया

स्टार्ट अप इंडिया की तर्ज पर ही स्टैंड अप इंडिया योजना लागू की गई लेकिन इसमें सिर्फ महिला उद्यमियों और एससी-एसटी कैटेगरी के लिए शुरु की गई। इसमें अपना कारोबार शुरु करने के लिए 3 साल तक टैक्स न भरने की छूट दी गई थी। लाइसेंस की प्रक्रिया बेहद सरल कर दी गई।

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ग्रामोदय से भारत उदय योजना

इसे बाबा भीमराव अंबेडकर की 125वीं जन्मतिथी पर मध्य प्रदेश के महु में लॉन्च किया गया। ग्रामीण लोगों के जीवन में सुधार करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि यह स्कीम भी ग्रामीण भारत के सुधार के लिए है और इसे भी सोशल रिफॉर्म स्कीम ही माना जाएगा। लेकिन इस स्कीम के तह्त ग्रामीण हालात में सुधार होने से देश की अर्थव्यवस्था को भी सहारा मिलेगा।

प्रधानमंत्री उज्जवला योजना

यूपी के बलिया शहर से शुरु हुई। बीपीएल कार्ड धारक महिलाएं जो अभी भी चूल्हे का इस्तेमाल करती है उनके लिए सरकार सस्ते दामों में एलपीजी कनेक्शन मुहैया कराएगी। योजना के अंतर्गत तीन साल के अंदर देश की 5 करोड़ बीपीएल महिलाओं को गैस कनेक्शन मुहैया कराना था।

कृषि से जुड़े सुधार

किसी भी देश के लिए कृषि अर्थव्यवस्था की बेहद अहम धुरी होती है। ख़ासकर भारत में जहां की 70% आबादी कृषि पर निर्भर करती है और यहां की अर्थव्यवस्था में बेहद अहम भूमिका निभाती है।

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अर्थव्यवस्था के इस अहम धुरी पर का ध्यान रखते हुए मोदी सरकार ने किसानों के हितों की रक्षा के लिए भी कई योजनाएं लागू की हैं मसलन किसान विकास पत्र, मृदा स्वास्थ्य कार्ड, फसल बीमा योजना और कृषि सिंचाई योजना आदि।⁠⁠⁠⁠

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HIGHLIGHTS

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी सरकार के तीन साल 26 मई पूरे
  • आर्थिक व्यवस्था के लिहाज से अहम रहे यह बीते तीन साल
  • कई योजनाओं और सुधारों के ऐलान से 7% पहुंची जीडीपी   

Source : Shivani Bansal

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