जम्मू और कश्मीर चुनाव के दौरान आर्मी के कथित मानव शील्ड को उपयोग करने के फैसले पर सरकार ने अधिकारी का साथ देने का फैसला किया है। सरकार ने इस मामले में दलील दी है कि यह फैसला विषम परिस्थितियों में लिया गया है। इस दौरान सेना के अधिकारियों के सामने सिक्युरिटी के लिए कोई ऑप्शन नहीं था।
दरअसल सेना के अधिकारी ने जम्मू और कश्मीर उपचुनाव के दिन कथित रूप से पथराव में शामिल युवक को जीप के आगे बांधकर पत्थरबाजों के इलाके से काफिले को गुजारा था।
इस पर सेना के अधिकारी के सपोर्ट में केंद्र सरकार के पीएमओ राज्यमंत्री और उधमपुर से सांसद जितेंद्र सिंह ने एक इंटरव्यू में बताया कि सरकार का मानना है कि सेना को राजनीति का शिकार बनाया जा रहा है।
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सिंह ने कहा कि कश्मीर में अलगावादी नेता आतंकवाद को भी बढ़ावा दे रहे हैं। ये लोग नैतिकता की बलि चढ़ा चुके हैं। ऐसी स्थिति में सेना के अधिकारी पर करीब एक दर्जन राज्य सरकार के कर्मचारी, ITBP के 10 जवान, जम्मू-कश्मीर पुलिस के दो जवान और एक बस चालक की सुरक्षा का जिम्मा था।
इन्हें उस इलाके से गुजरना था जहां पर सैकड़ों लोग पत्थर हाथ में लिए सरकारी कर्मचारियों का इंतजार कर रहे थे। ऐसे में सेना ने जो फैसला लिया वह असाधारण परिस्थितियों में लिया गया था। जीप पर आगे बांधे गए युवक फारुख अहमद डार को भी सेना कथित रूप से पत्थरबाज बता रही है। हालांकि डार खुद को एक शॉल बुनकर बता रहा है।
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Source : News Nation Bureau