प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ट्वीट कर कहा, आज ही के दिन देश के बहादुर जवानों के अदम्य साहस के दम पर हमने 1971 की लड़ाई में विजयश्री हासिल की थी. उनके साहस और देशभक्ति के चलते ही हम और हमारा देश देश सुरक्षित है. उनकी सेवा हम भारतीयों को जीवन भर प्रेरित करेगी. बता दें कि आज के दिन ही यानी 16 दिसम्बर को 1971 को पाकिस्तान से युद्ध में भारत ने विजयश्री हासिल की थी. इस युद्ध में पाकिस्तानी सेना के 93,000 जवानों ने आत्मसमर्पण किया था. विकीपीडिया पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार, इस युद्ध के बाद पूर्वी पाकिस्तान आजाद बांग्लादेश के नाम से आजाद मुल्क हो गया. युद्ध में करीब 3,900 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि 9,851 घायल हो गए थे.
पूर्वी पाकिस्तान में पाकिस्तानी बलों के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने भारत के पूर्वी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था, जिसके बाद 17 दिसम्बर को 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया. युद्ध की पृष्ठभूमि साल 1971 की शुरुआत से ही बनने लगी थी. पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह याहिया ख़ां ने 25 मार्च 1971 को पूर्वी पाकिस्तान की जन भावनाओं को सैनिक ताकत से कुचलने का आदेश दे दिया. इसके बाद शेख़ मुजीब को गिरफ़्तार कर लिया गया. तब वहां से कई शरणार्थी लगातार भारत आने लगे.
PM Narendra Modi tweets: Today on #VijayDiwas, we remember the indomitable spirit of the brave soldiers who fought in 1971. Their unwavering courage and patriotism ensured our country is safe. Their service will always inspire every Indian. pic.twitter.com/s78jMq0DwC
— ANI (@ANI) December 16, 2018
उसके बाद भारत पर यह दबाव पड़ने लगा कि वह वहां सेना के जरिए हस्तक्षेप करे. तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी चाहती थीं कि अप्रैल में आक्रमण किया जाए. इस बारे में इंदिरा गांधी ने थलसेनाध्यक्ष जनरल मानेकशॉ की राय ली. तब भारत के पास सिर्फ़ एक पर्वतीय डिवीजन था. इस डिवीजन के पास पुल बनाने की क्षमता नहीं थी. तब मानसून भी दस्तक देने ही वाला था. ऐसे समय में पूर्वी पाकिस्तान में प्रवेश करना मुसीबत मोल लेने जैसा था. मानेकशॉ ने सियासी दबाव में झुके बिना प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी से स्पष्ट कह दिया कि वे पूरी तैयारी के साथ ही युद्ध के मैदान में उतरना चाहते हैं.
3 दिसंबर, 1971 को इंदिरा गांधी तत्कालीन कलकत्ता में एक जनसभा को संबोधित कर रही थीं. इसी दिन शाम के वक्त पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने भारतीय वायुसीमा को पार करके पठानकोट, श्रीनगर, अमृतसर, जोधपुर, आगरा आदि सैनिक हवाई अड्डों पर बम गिराना शुरू कर दिया. इंदिरा गांधी ने उसी वक्त दिल्ली लौटकर मंत्रिमंडल की आपात बैठक की और युद्ध का ऐलान कर दिया. भारतीय सेना ने जेसोर और खुलना पर कब्ज़ा कर लिया. भारतीय सेना की रणनीति थी कि अहम ठिकानों को छोड़ते हुए पहले आगे बढ़ा जाए. युद्ध में मानेकशॉ खुलना और चटगांव पर ही कब्ज़ा करने पर ज़ोर देते रहे. ढाका पर कब्ज़ा करने का लक्ष्य भारतीय सेना के सामने रखा ही नहीं गया.
14 दिसंबर को भारतीय सेना ने एक गुप्त संदेश को पकड़ा कि दोपहर 11 बजे ढाका के गवर्नमेंट हाउस में एक महत्वपूर्ण बैठक होने वाली है, जिसमें पाकिस्तानी प्रशासन के बड़े अधिकारी भाग लेने वाले हैं. भारतीय सेना ने तय किया कि इसी समय उस भवन पर बम गिराए जाएं. बैठक के दौरान ही मिग 21 विमानों ने भवन पर बम गिराकर मुख्य हॉल की छत उड़ा दी.
यह भी पढ़ें : जानिए क्या है कुंभ, अर्धकुंभ और सिंहस्थ के पीछे का इतिहास
16 दिसंबर की सुबह जनरल जैकब को मानेकशॉ का संदेश मिला कि आत्मसमर्पण की तैयारी के लिए तुरंत ढाका पहुंचें. नियाज़ी के पास ढाका में 26400 सैनिक थे, जबकि भारत के पास सिर्फ़ 3000 सैनिक और वे भी ढाका से 30 किलोमीटर दूर. भारतीय सेना ने युद्घ पर पूरी तरह से अपनी पकड़ बना ली. जनरल अरोड़ा अपने दलबल समेत एक दो घंटे में ढाका लैंड करने वाले थे और युद्ध विराम भी जल्द ख़त्म होने वाला था. जैकब के हाथ में कुछ भी नहीं था. जैकब जब नियाज़ी के कमरे में घुसे तो वहां सन्नाटा छाया हुआ था. आत्म-समर्पण का दस्तावेज़ मेज़ पर रखा हुआ था.
शाम के साढ़े चार बजे जनरल अरोड़ा हेलीकॉप्टर से ढाका हवाई अड्डे पर उतरे. अरोडा़ और नियाज़ी एक मेज़ के सामने बैठे और दोनों ने आत्म-समर्पण के दस्तवेज़ पर हस्ताक्षर किए. नियाज़ी ने अपने बिल्ले उतारे और अपना रिवॉल्वर जनरल अरोड़ा के हवाले कर दिया. नियाज़ी की आंखों में एक बार फिर आंसू आ गए. अंधेरा घिरने के बाद स्थानीय लोग नियाज़ी की हत्या पर उतारू नजर आ रहे थे. भारतीय सेना के वरिष्ठ अफ़सरों ने नियाज़ी के चारों तरफ़ एक सुरक्षित घेरा बना दिया. बाद में नियाजी को बाहर निकाला गया.
इंदिरा गांधी संसद भवन के अपने दफ़्तर में एक टीवी इंटरव्यू दे रही थीं. तभी जनरल मानेक शॉ ने उन्हें बांग्लादेश में मिली शानदार जीत की ख़बर दी. इंदिरा गांधी ने लोकसभा में शोर-शराबे के बीच घोषणा की कि युद्ध में भारत को विजय मिली है. इंदिरा गांधी के बयान के बाद पूरा सदन जश्न में डूब गया. इस ऐतिहासिक जीत को खुशी आज भी हर देशवासी के मन को उमंग से भर देती है.
Source : News Nation Bureau