बहुचर्चित बाटला हाउस मुठभेड़ से जुड़े एक केस में दिल्ली की साकेत अदालत ने Indian Mujahideen के आतंकी आरिज खान को दोषी करार दिया है. अदालत ने कहा कि यह साबित हो गया है कि मुठभेड़ के वक्त आरिज खान भागने में कामयाब हो गया था. अदालत ने खान को आईपीसी की धारा 186, 333, 353, 302, 307, 174A, 34 के तहत दोषी पाया है. उसे आर्म्स ऐक्ट की धारा 27 के तहत भी दोषी करार दिया गया है. आरिज खान को सजा की घोषणा अदालत 15 मार्च को दोपहर 12 बजे करेगी. एक दशक तक कथित तौर पर फरार रहने के बाद फरवरी 2018 में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उसे गिरफ्तार किया था.
कांग्रेस ने बताया था फर्जी
गौरतलब है कि इस मुठभेड़ को कांग्रेस और बीजेपी के बीच सियासत भी खूब हुई. कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने आतंकियों के समर्थन में बेबाकी से बयान दिए थे और मुठभेड़ को फर्जी ठहराया था. राजनीतिक पंडितों के मुताबिक महज वोट बैंक की खातिर इस मामले में दुष्प्रचार का सहारा लिया, अब जब साकेत कोर्ट ने आरिज खान को इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा की हत्या का दोषी माना है, तो तय है कि आने वाले दिनों में बाटला हाउस मुठभेड़ पर एक बार फिर राजनीति देखने में आएगी.
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2008 का है मामला
पुलिस का आरोप है कि दिल्ली में 13 सितंबर 2008 को पांच जगह बम धमाके हुए. इनमें 30 लोगों की जान गई व कई सारे लोग जख्मी हुए. इस मामले की जांच के दौरान पुलिस की स्पेशल सेल को सूचना मिली कि जामिया के बाटला इलाके में कुछ आतंकी छिपे हैं. पुलिसबल मौके पर पहुंचा. उस समय बाटला हाउस के उस फ्लैट में आरिज खान उर्फ जुनैद के साथ चार और लोग फ्लैट में मौजूद थे. वहां पुलिस वे आतंकियों मे मुठभेड़ हुई. दो आतंकी मौके पर मारे गए, जबकि तीन वहां से भागने में सफल रहे. इन्हीं में से एक था आरिज खान, जबकि दो अन्य आरोपी मोहम्मइद सैफ एवं जिशान गिरफ्तार कर लिए गए.
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इंसपेक्टर शहीद हो गए थे मुठभेड़ में
इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के होंनहार इंस्पेक्टर मोहनचंद शर्मा आतंकियों की गोलियों का निशाना बने और शहीद हो गए थे. इस मामले में वर्ष 2013 में अदालत ने इंडियान मुजाहिदीन के आतंकी शहजाद अहमद को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. शहजाद की सजा के खिलाफ अपील हाईकोर्ट में लंबित है. गौरतलब है कि आरिज खान ने पिछले साल सितंबर में कोर्ट के सामने कहा था कि उसे झूठे मामले में फंसाया गया है. पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश संदीप यादव के समक्ष अंतिम दलील के दौरान उसने कहा था कि उस समय उसके फ्लैट से संबंधित होने या वहां उसकी उपस्थिति साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं है. अदालत ने आठ साल पहले एक अन्य आतंकवादी शहजाद अहमद को मामले के सिलसिले में उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
Source : News Nation Bureau