भारतीय नौसेना (Indian Navy) को अपनी तीसरी स्कॉर्पीन पनडुब्बी मिली है, जिसे मुंबई में सोमवार को प्रोजेक्ट पी-75 के आईएनएस करंज के तौर पर कमीशन मिला है. स्वीकृति दस्तावेज पर मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक एवं वाइस एडमिरल (सेवानिवृत्त) नारायण प्रसाद और पश्चिमी नौसेना कमान के चीफ ऑफ स्टाफ ऑफिसर (प्रौद्योगिकी) रियर एडमिरल बी. शिवकुमार द्वारा हस्ताक्षर किए गए हैं. करंज की सुपुर्दगी के साथ, भारत ने पनडुब्बी निर्माण करने वाले राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है. एमडीएल, जो भारतीय नौसेना की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरी क्षमता के साथ पूरा करने के लिए भारत के प्रमुख शिपयार्ड में से एक है, उसने खंडेरी, कलवरी और अब करंज नामक तीन स्कॉर्पीन पनडुब्बियों को वितरित किया है.
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भारतीय नौसेना को अपनी तीसरी स्कॉर्पीन पनडुब्बी मिली
इस पनडुब्बी को भारत मुंबई में स्थित मझगांव डॉकयार्ड लिमिटेड ने फ्रांसीसी कंपनी मेसर्स नेवल ग्रुप के साथ ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के समझौते के अंतर्गत बनाया है. इस सौदे के तहत कुल छह पनडुब्बियां बनाई जानी हैं. उल्लेखनीय है कि आईएनएस करंज में सतह और पानी के अंदर से टॉरपीडो और ट्यूब लॉन्च्ड एंटीशिप मिसाइल फायर करने की क्षमता है. भारतीय नौसेना के अधिकारियों का दावा है कि आईएनएस करंज, सटीक निशाना लगाकर दुश्मन के हर तरह के खतरों से निपटने की क्षमता रखती है.
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एरिया सर्विलांस जैसे मिशनों को अंजाम देने की क्षमता भी है
इसके साथ ही इस पनडुब्बी में एंटी-सरफेस वॉरफेयर, एंटी-सबमरीन वॉरफेयर, खुफिया जानकारी जुटाने और एरिया सर्विलांस जैसे मिशनों को अंजाम देने की क्षमता भी है. 1992 और 1994 में एमडीएल द्वारा निर्मित दो एसएसके पनडुब्बियां 25 से अधिक वर्षों के बाद अभी भी सेवा दे रही हैं.
भारत ने पनडुब्बी निर्माण करने वाले राष्ट्र के रूप में अपनी स्थिति को और मजबूत कर लिया है. एमडीएल, जो भारतीय नौसेना की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को पूरी क्षमता के साथ पूरा करने के लिए भारत के प्रमुख शिपयार्ड में से एक है.
Source : IANS