पूर्वी लद्दाख (Ladakh) की गलवान घाटी (Galwan Valley) में भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) की सरकार सेना के तीनों अंगों को आत्मनिर्भर और अत्याधुनिक बनाने की मुहिम में युद्धस्तर पर जुट गई है. इस कड़ी में भारतीय नौसेना (Indian Navy) के लिए छह पारंपरिक पनडुब्बियों के निर्माण के लिए 55,000 करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना का बिडिंग प्रोसेस अक्टूबर तक शुरू होने वाला है. चीन की नौसेना की बढ़ती ताकत के मद्देनजर ये पनडुब्बियां (Submarines) भारत की सामरिक क्षमता को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगी. सरकारी सूत्रों ने रविवार को इस बारे में जानकारी दी.
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पीपीपी मॉडल पर होगा निर्माण
सूत्रों ने बताया कि रणनीतिक भागीदारी मॉडल के तहत भारत में इन पनडुब्बियों का निर्माण होगा. इसके तहत घरेलू कंपनियों को देश में अत्याधुनिक सैन्य उपकरण निर्माण के लिए विदेशी रक्षा कंपनियों से करार की अनुमति होगी और आयात पर निर्भरता घटेगी. सूत्रों के मुताबिक, परियोजना के संबंध में अनुरोध प्रस्ताव जारी करने के लिए पनडुब्बी की विशिष्टता और अन्य जरूरी मानदंड को लेकर रक्षा मंत्रालय और भारतीय नौसेना की अलग-अलग टीमों द्वारा काम पूरा हो चुका है. उन्होंने बताया कि अक्टूबर तक आरएफपी जारी होगा.
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ये होंगे महारथी
जानकारी के मुताबिक रक्षा मंत्रालय दो भारतीय शिपयार्ड और पांच विदेशी रक्षा कंपनियों के नामों की संक्षिप्त सूची बना चुका है. इसे ‘मेक इन इंडिया’ के तहत सबसे बड़ा उपक्रम बताया जा रहा है. अंतिम सूची में शामिल भारतीय कंपनियों में एल एंड टी ग्रुप और सरकारी मझगांव डॉक लिमिटेड (एमडीएल) हैं, जबकि चुनिंदा विदेशी कंपनियों में थायसीनक्रूप मरीन सिस्टम (जर्मनी), नवानतिया (स्पेन) और नेवल ग्रुप (फ्रांस) शामिल हैं.
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कुल 24 पनडुब्बियां खरीदेगी नेवी
सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में रक्षा मंत्रालय एमडीएल और एल एंड टी को आरएफपी जारी करेगा तथा दोनों कंपनियां दस्तावेज मिल जाने के बाद अपनी विस्तृत निविदा पेश करेंगी. इसके बाद एल एंड टी और एमडीएल को पांच चुनिंदा कंपनियों में से एक विदेशी भागीदार का चयन करना होगा. पानी के भीतर अपनी युद्धक क्षमता बढ़ाने के लिए भारतीय नौसेना की परमाणु हमला करने की क्षमता वाली छह पनडुब्बी समेत 24 नई पनडुब्बी खरीदने की योजना है.
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8-10 सालों में बदलेगी नेवी की तस्वीर
नौसेना के पास वर्तमान में 15 पारंपरिक पनडुब्बी और दो परमाणु संपन्न पनडुब्बी हैं. हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की सेना की बढ़ती मौजूदगी के मद्देनजर नौसेना अपनी क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. वैश्विक नौसेना विश्लेषकों के मुताबिक चीन के पास 50 से ज्यादा पनडुब्बी और करीब 350 पोत हैं. अगले 8-10 साल में जहाजों और पनडुब्बियों की संख्या 500 से ज्यादा हो जाएगी.