भारतीय नौसेना (Indian Navy) की पनडुब्बियों से निकट भविष्य में बेहद खतरनाक आत्मघाती हमलावर ड्रोन निकलेंगे. ये दुश्मन के जहाज, विमान या जमीनी पोस्ट को तबाह कर देंगे. या गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर देंगे. इसलिए रक्षा क्षेत्र में काम करने वाली कंपनी लार्सेन एंड टुब्रो (Larsen & Toubro, L&T) ने बेंगलुरु में स्थित एक स्टार्ट-अप कंपनी के साथ समझौता किया है. इस कंपनी का नाम न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी (NRT) है. NRT और L&T मिलकर पनडुब्बी से लॉन्च होने वाले मानवरहित एरियल व्हीकल्स (UAVs) यानी ड्रोन्स बनाएंगे. इस तरह के हथियारों का कॉन्सेप्ट कुछ ही देशों के पास है. दोनों कंपनियों के बीच यह समझौता ड्रोन महोत्सव के दौरान हुआ है. इस तरह के हथियार में दो तरह के हिस्से होते हैं. पहला पानी के अंदर का हिस्सा और दूसरा हवा में उड़ने वाला हिस्सा. अगर यह हथियार भारत में विकसित होता है, तो एक बेहद अत्याधुनिक हथियार बनेगा.
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अभी फिलहाल अमेरिका के पास ही ऐसी टेक्नोलॉजी है. उसने अपनी सबमरीन्स में 'किल चेन' सिस्टम के तहत इस तरह के ड्रोन्स की तैनाती की है. ये किसी भी तरह के सतह और जमीनी टारगेट को भेद सकते हैं. उन्हें नष्ट कर सकते हैं. हाल ही भारतीय नौसेना ने DRDO के जरिए इस तरह के हथियार को बनाने की जरुरत के लिए एक एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (EOI) जारी कराया था.
जिसमें सबमरीन से लॉन्च होने वाले स्विचब्लेड लॉयटरिंग म्यूनिशन और UAVs के विकास की ओर बात की गई थी. इसका मकसद सिर्फ हमला करना ही नहीं, बल्कि निगरानी, जासूसी, सर्विलांस आदि भी है. ऐसे ड्रोन्स की नाक पर इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल और इंफ्रारेड सेंसर्स लगे होंगे. हालांकि अभी तक यह नहीं पता चला है कि यह किस तरह से बनाए जाएंगे. कितना समय लगेगा. संचार की क्या तकनीक होगी.