Advertisment

कोरोना से निपटने को केंद्र की नीति को लेकर सकारात्मक होती दिख रही लोगों की सोच

भारत में अप्रैल-मई के दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर ने कहर बरपाया था, जिससे देश के लोगों में केंद्र सरकार के प्रति विश्वास की कमी भी देखी गई, मगर सात जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद से इस दिशा में सुधार होता दिख रहा है.

author-image
Deepak Pandey
एडिट
New Update
coronavirus

कोरोना वायरस( Photo Credit : IANS)

Advertisment

भारत में अप्रैल-मई के दौरान कोविड-19 की दूसरी लहर ने कहर बरपाया था, जिससे देश के लोगों में केंद्र सरकार के प्रति विश्वास की कमी भी देखी गई, मगर सात जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद से इस दिशा में सुधार होता दिख रहा है. आईएएनएस/सीवोटर कोविड ट्रैकर सर्वे के ताजा आंकड़ों में यह बात सामने आई है. घातक वायरस से निपटने के लिए केंद्र सरकार की साख और क्षमता को लेकर देश के नागरिकों के विश्वास में, जो इस साल 16 मार्च को 66.3 प्रतिशत था, मई के मध्य में तेज गिरावट देखी गई.

यह भी पढ़ेंःजदयू के पूर्व सांसद ने मोदी को लिखा पत्र, चिराग का राजनीतिक करियर खत्म करने की साजिश

10 मई को एकत्र किए गए कोविड ट्रैकर डेटा में, केवल 32.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सदी के सबसे खराब संकट से निपटने के लिए केंद्र सरकार की क्षमता में अपना विश्वास व्यक्त किया. ट्रैकर में खुलासा हुआ है कि देश में कोविड संक्रमण और मृत्यु दर बढ़ने के आठ सप्ताह के भीतर नेट रेटिंग 66.3 प्रतिशत से घटकर 32.4 प्रतिशत हो गई थी. आईएएनएस/सीवोटर कोविड ट्रैकर के अनुसार, महामारी से निपटने के लिए केंद्र सरकार की कुल अनुमोदन रेटिंग 16 जून को 52.1 प्रतिशत तक सुधार गई. जनता की धारणा में यह उछाल सात जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद देखा गया, जब उन्होंने महामारी से निपटने के लिए कई उपायों की घोषणा की.

हालांकि, यह उछाल केवल कोविड संकट और टीकाकरण के मुद्दे तक ही सीमित है. सरकार के साथ समग्र संतुष्टि रेटिंग अभी भी लंबी रिवकरी कर्व पर है, जहां ट्रैकर में सामने आया है कि मई के तीसरे सप्ताह में यह स्लाइड बंद हो गई, जब इसने 17 मई को 35 प्रतिशत अंक और अंतिम सप्ताह में 40 प्रतिशत के मील के पत्थर पार कर लिया.

वास्तविक सुधार 7 जून को प्रतिबिंबित होना शुरू हुआ, जब कोविड से निपटने पर अंतत: 13 जून को 50 प्रतिशत के निशान को पार करने से पहले नेट रेटिंग 45 प्रतिशत के निशान को पार कर गई. आईएएनएस/सीवोटर कोविड ट्रैकर से पता चलता है कि यह विश्वास की कमी कम होने लगी और जून के पहले सप्ताह के बाद सरकार के पक्ष में चीजें सुधरने लगीं, जब मोदी ने सभी के लिए मुफ्त कोविड वैक्सीन शॉट्स की घोषणा की.

यह भी पढ़ेंःनारदा मामला : SC ने CM, कानून मंत्री के हलफनामे पर सुनवाई की जताई सहमति

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में घोषणा की थी कि केंद्र कोविड टीकाकरण की जिम्मेदारी लेगा और 21 जून से 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी भारतीयों को मुफ्त टीके उपलब्ध कराएगा. प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि केंद्र सरकार केंद्रीकृत टीकाकरण अभियान के हिस्से के रूप में टीकों की खरीद करेगी और राज्यों को मुफ्त में देगी.

आईएएनएस/सीवोटर कोविड ट्रैकर डेटा से पता चलता है कि केंद्र सरकार के इस फैसले ने देश में टीकाकरण अभियान को लेकर चल रहे भ्रम को दूर करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. इसी तरह, डेटा से पता चलता है कि लॉकडाउन और प्रतिबंधित आर्थिक गतिविधियों के कारण होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए दिवाली तक 80 करोड़ गरीब लोगों को लॉकडाउन और प्रतिबंधित आर्थिक गतिविधियों के कारण होने वाली कठिनाइयों को कम करने के लिए मुफ्त राशन प्रदान करने को लेकर लोगों का विश्वास वापस जीतने के लिए बहुत आवश्यक क्षति नियंत्रण (डैमेज कंट्रोल) के तौर पर भूमिका निभाई.

दिवाली तक प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना का विस्तार करने के केंद्र सरकार के निर्णय ने काफी असर डाला और लोगों का विश्वास जीतने में मदद की. इससे डैमेज कंट्रोल में काफी सहायता मिली. आईएएनएस/सीवोटर कोविड ट्रैकर के संचयी डेटा से पता चला है कि कार्यबल में लगभग हर 10वां प्रतिवादी अभी भी काम से बाहर है और यहां तक कि जो लोग काम पर वापस आ गए हैं, उनमें से लगभग आधे कर्मचारियों ने कोविड से पहले के समय की तुलना में आय के नुकसान (वेतन कटौती) के बारे में चिंता जताई है.

दिवाली तक मुफ्त राशन पहल के मौजूदा विस्तार से आय की कमी को काफी हद तक कवर करने की संभावना है, क्योंकि पिरामिड के निचले हिस्से में यानी गरीबी रेखा के आसापास जीने वाला बहुत बड़ा तबका मुख्य रूप से राशन पर अपनी कमाई खर्च करता है. केंद्र सरकार का एक और बड़ा फैसला, जिसने आत्मविश्वास बढ़ाने के उपायों में एक बड़ी भूमिका निभाई, वह सीबीएसई द्वारा आयोजित बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करना है.

यह भी पढ़ेंःगाजियाबाद: आरोपी बोला- ताबीज के कारण पत्नी हुआ गर्भपात, इसलिए बुजुर्ग को पीटा

इस फैसले के ठीक बाद किए गए आईएएनएस-सीवोटर स्नैप पोल में, लगभग 56 प्रतिशत लोगों ने सरकार के फैसले को सही ठहराया है, जबकि लगभग एक तिहाई इसके प्रभाव के बारे में अनिश्चित दिखाई दिए. बहुत कम उत्तरदाताओं ने कहा कि उन्होंने बोर्ड परीक्षा रद्द करने के निर्णय को अस्वीकार कर दिया है.

आईएएनएस/सीवोटर कोविड ट्रैकर डेटा स्पष्ट रूप से बताता है कि कोविड संकट से निपटने के लिए मोदी सरकार की नेट अप्रूवल रेटिंग में सात जून के बाद से खासतौर पर सुधार शुरू हुआ है. मई के मध्य से नेट रेटिंग में लगभग 15 प्रतिशत का सुधार साफतौर पर दिखाता है कि सरकार गंभीर क्षति नियंत्रण मोड पर है. हालांकि, लोगों का विश्वास जीतने और कोविड-19 की तीसरी लहर की आशंकाओं को दूर करने के लिए केंद्र को स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और उससे जुड़े क्षेत्रों पर बहुत काम करना होगा.

HIGHLIGHTS

  • आईएएनएस/सीवोटर कोविड ट्रैकर का सर्वे 
  • अप्रैल-मई में लोगों में केंद्र के प्रति विश्वास की कमी भी देखी गई
  • यह उछाल कोविड संकट और टीकाकरण के मुद्दे तक ही सीमित
Modi Government corona-virus corona-vaccine vaccination in india
Advertisment
Advertisment