नागरिकता संशोधन अधिनियम भारत का अंदरूनी मसला है और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पांपियो ने इसे मंत्रिस्तरीय टू प्लस टू वार्ता में नहीं उठाया. इस बारे में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने दो टूक कहा कि वॉशिंग्टन में किन मसलों पर बातचीत हुई इसको लेकर अभी समग्र तौर पर जानकारी नहीं है. हालांकि इतना स्पष्ट है कि सीएए का मसला वार्ता के दौरान नहीं उठा. इसकी वजह यह है कि इसको लेकर भारत ने पहले ही अमेरिकी वार्ताकारों और अमेरिकी कांग्रेस को अपने पक्ष से अवगत करा दिया था. यह किसी भी तरह से अमेरिकी चिंता का विषय नहीं है.
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पीओके भारत का अभिन्न हिस्सा
रवीश कुमार ने स्पष्ट किया कि भारत ने नागरिकता संशोधन अधिनियम पर वही बातें अमेरिकी अधिकारियों के समक्ष रखी, जिनके बारे में संसद और फिर बाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने चर्चा की. उन्होंने सीएए पर अमेरिकी चिंताओं से जुड़े सवाल के जवाब में कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने टू प्लस टू वार्ता में भारतीय पक्ष को ही साझा किया है. इसके साथ ही उन्होंने इस बात से इंकार नहीं किया कि पाक अधिकृत कश्मीर की सरकार ने कुछ शब्दावलियों में हेरफेर किया है. उन्होंने स्पष्ट कहा कि इसके बावजूद यह सच्चाई बदलने वाली नहीं है कि पाकिस्तान ने अनधिकृत तरीके से भारत के भू-भाग पर कब्जा कर रखा है.
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अमेरिका ने भारत के पक्ष को सराहा
गौरतलब है कि टू प्लस टू मंत्रिस्तरीय वार्ता के समापन के बाद अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता ट्रंप प्रशासन के लिए और विदेश मंत्री माइक पॉम्पियों के लिए मुख्य मुद्दे हैं. हालांकि मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दे पर भारत की तुलना दूसरे देशों के साथ करने से इंकार करते हुए अमेरिका ने कहा कि भारत एक सक्षम लोकतंत्र है. अमेरिका ने कहा कि भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और वहां धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकार जैसे विषयों पर चिंताओं के समाधान के लिए संस्थाएं हैं.
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बांग्लादेशी मंत्री के दौरा रद्द होने को कोई और अर्थ नहीं दें
नागरिकता संशोधन अधिनियम पर बांग्लादेशी विदेश मंत्री का भारत दौरा रद्द करने से जुड़े सवाल पर रवीश कुमार ने कहा कि इस मसले पर काफी प्रतिक्रिया और टिप्पणी की है. इस कड़ी में हमें यह समझना चाहिए कि बांग्लादेश के साथ वार्तालाप के 75 संवाद तंत्र सक्रिय हैं. दोनों ही देश परस्पर सहमति से आगे की एक नई तिथि तय की जाएगी. इस मामले में हमारी समझ यही कहती है कि दोनों देशों के जिस तरह के नजदीकी संबंध है, उन्हें किसी दौरे के रद्द होने से बांध कर नहीं देखना चाहिए. खासकर तब तो और भी नहीं जब बांग्लादेश ने इस दौरे को रद्द करने का विस्तृत कारण भी बता दिया हो.
HIGHLIGHTS
- अमेरिका संग मंत्रीस्तरीय वार्ता में नहीं उठा नागरिकता संशोधन अधिनियम.
- अमेरिका को पहले ही बता दिया गया कि यह भारत का अंदरूनी मसला.
- बांग्लादेश के साथ वार्तालाप के 75 संवाद तंत्र सक्रिय हैं. उसे किसी दौरे से नहीं बांधे.
Source : News Nation Bureau