सीएसआईआर (CSIR) वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ने कोरोना वायरस (Corona Virus) से लड़ने के लिए एक नई दवा विकसित की है. इसका उपनाम एमडब्ल्यू (MBW) रखा गया है. पिछले महीने ही इस पर काम शुरू हो गया था, लेकिन अब एम्मस (AIIMS) दिल्ली और भोपाल के साथ पीजीआई चंडीगढ़ में इसका मानव प्रयोग शुरू हो गया है. सबसे पहले भारत सरकार की अनुमति के बाद ऐसे 50 मरीजों पर इसका मानव प्रयोग किया जा रहा है जो कोरोना संक्रमण से पीड़ित हैं और फिलहाल क्रिटिकल स्टेज पर वेंटिलेटर पर चले गए हैं. इनलोगों की प्लाज्मा थेरेपी नहीं की गई है. उन लोगों को यह दवाई देकर देखा जाएगा कि उनके शरीर की प्रतिक्रिया क्या रहेगी.
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साथ ही करीब 4000 ऐसे व्यक्ति जिन्हें कोरोना हो चुका है, लेकिन जो नाजुक हालत में नहीं हैं और अस्पताल में भर्ती हैं, उन्हें भी यह दवाई दी जाएगी. उन पर यह शोध किया जाएगा कि किस दवाई से कोरोना संक्रमण के खिलाफ शरीर की प्राकृतिक रक्षा प्रणाली कितनी मजबूत हुई. तीसरे चरण के रूप में 500 ऐसे व्यक्ति जो कोविड-19 (Covid-19) पॉजिटिव व्यक्तियों के संपर्क में आए हैं, उन्हें भी यह दवाई दी जाएगी और यह तय किया जाएगा कि क्या शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली इतनी शक्तिशाली हो गई है, जिससे करोना संक्रमण का असर उन लोगों पर शुरू ही ना हो.
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सीएसआईआर के डायरेक्टर जनरल शेखर मंडे ने बताया, कोरोना की वैक्सीन आने में अभी वक्त लगेगा, लिहाजा इस दवाई को इस लिहाज से टेस्ट किया जा रहा है कि कोरोना संक्रमण होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक इम्यून सिस्टम इतना शक्तिशाली हो जाए कि संक्रमण का असर प्राणघातक ना हो. अगर सफलता मिली तो भारत में कोरोना से मरने वाले लोगों की संख्या में भारी कमी आ सकती है.
Source : Rahul Dabas