जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) में अनुच्छेद 370 हटने और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में विभाजित करने के बाद पाकिस्तान (Pakistan) आतंकवादी साजिशों से बाज नहीं आ रहा है. इंडियन आर्मी के सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) के लांचिंग पैड से आतंकियों के घुसपैठ का नया वीडियो सामने आ रहा है. भारतीय सेना (Indian Army) ने 12 और 13 सितंबर को बॉर्डर एक्शन टास्क (बैट) की कई घुसपैठ की कोशिश को नाकाम किया है.
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सेना के स्रोत के मुताबिक, यह वीडियो 12-13 सितंबर की दरम्यानी रात का है, जिसमें देखा जा सकता है कि पाकिस्तान बैट किस तरह से हाजीपुर सेक्टर में घुसपैठ की कोशिश कर रहा है. हालांकि, भारतीय सेना ने पाकिस्तान के मंसूबों को कामयाब नहीं होने दिया और पाकिस्तानी बैट को वापस जाना पड़ा. गौरतलब है कि अगस्त में नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से 15 बार घुसपैठ की कोशिश की गई है.
Army sources:This infiltration or attempted BAT action by Pakistan on 12-13 Sept 2019, was seen&eliminated in Hajipir Sector of PoK. Despite repeated denials,Pak has been trying to push terrorists into India. In Aug,Army managed to foil over 15 infiltration attempts by Pak on LoC https://t.co/UelRQpe9Vr
— ANI (@ANI) September 18, 2019
खुफिया जानकारी के मुताबिक, सीमा पार से उत्तरी कश्मीर के ऊंचाई वाले इलाकों तथा जम्मू क्षेत्र के पुंछ और राजौरी इलाकों से घुसपैठ में वृद्धि हुई है. हालांकि, सीमा पार से आतंकवादियों की घुसपैठ के बारे में सेना की ओर से आधिकारिक रूप से कोई जानकारी नहीं दी गई है. नियंत्रण रेखा से घुसपैठ के सफल और असफल प्रयासों के बारे में जानने के लिए हाल में हुई एक बैठक में सेना के प्रतिनिधि को कश्मीर क्षेत्र के गुरेज, माछिल और गुलमर्ग सेक्टरों के ऊंचाई वाले इलाकों तथा जम्मू क्षेत्र के पुंछ और राजौरी इलाकों में आतंकी घुसपैठ के संबंध में विभिन्न एजेंसियों द्वारा जुटाए गए साक्ष्य सौंपे गए.
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जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक दिलबाग सिंह ने बताया था कि नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के कई प्रयास हुए, जिनमें से ज्यादातर को विफल कर दिया गया है. उन्होंने इस संभावना से इनकार नहीं किया कि हो सकता है कुछ आतंकी घुसपैठ करने में सफल हो गए हों. उन्होंने कहा कि ऐसे आतंकियों को पकड़ने के लिए कश्मीर में सर्च ऑपरेशन भी चलाया जा रहा है. गौरतलब है कि गुलमर्ग के ऊंचाई वाले क्षेत्रों को 1990 के दशक में मध्य कश्मीर में घुसपैठ के लिए इस्तेमाल किया जाता था.