भारतीय कामकाजी महिलाओं में 87 फीसदी अपने करियर में उन्नति पाना चाहती हैं। इस सर्वेक्षण में उस आम धारणा को चुनौती मिली है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम महत्वाकांक्षी बताया जाता है।
इस सर्वेक्षण को वैश्विक प्रबंधन सलाहकार कंपनी बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप (बीसीजी) ने 'फ्राम इंटेनशन टू इम्पैक्ट : ब्रिजिंग द डायवर्सिटी गैप इन द वर्कप्लेस' शीर्षक के तहत किया है। इसमें सिर्फ 60 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उनकी कंपनी ने विविधता को बढ़ावा दिया है जबकि सिर्फ 29 फीसदी ने कहा कि उन्हें ऐसे कार्यक्रमों से लाभ पहुंचा है।
इसके विपरीत 73 फीसदी पुरुषों का मानना है कि कार्यस्थल प्रबंधन लैंगिक विविधता के प्रति प्रतिबद्ध है। इससे पता चलता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुष कंपनी की लैंगिक प्रतिबद्धता को लेकर ज्यादा आशावादी हैं।
बीसीजी की साझेदार व निदेशक प्रियंका अग्रवाल ने सोमवार को एक बयान में कहा, 'लैंगिक विविधता को बढ़ावा देने के लिए पुरुष कर्मचारियों को शामिल करना महत्वपूर्ण है। लैंगिक विविधता के समर्थन व प्रगति से पुरुषों का मजबूत संबंध है।'
अग्रवाल ने कहा, 'जब पुरुष परिवर्तन एजेंटों के रूप में कार्य करते हैं, तो कार्यक्रम किसी भी पूर्वाग्रह से मुक्त हो जाता है और नीतियों को निष्पक्ष और तटस्थ रूप में देखा जाता है पुरुषों को महिलाओं के लिए सलाहकार या कार्यक्रम के डिजाइन और कार्यान्वयन टीम के मुख्य सदस्य के रूप में शामिल किया जा सकता है।'
इन असमानताओं को ध्यान में रखते हुए, सर्वेक्षण ने सुझाव दिया कि कंपनियों को समय-परीक्षण और प्रभावी पहल जैसे भेदभाव नीतियों और विनियामक आवश्यकताएं, माता-पिता की छुट्टी और बाल देखभाल प्रदान करने और लचीला काम करने वाले मॉडल की पेशकश करने पर अपना समय और प्रयास खर्च करना चाहिए।
यह सर्वेक्षण 25 बड़े भारतीय कंपनियों में लगभग 1500 कर्मचारियों पर आधारित है, जो कार्यस्थल में विविधता के अंतराल की जांच के लिए पांच श्रेणियों के हस्तक्षेप-भर्ती, प्रतिधारण, उन्नति, नेतृत्व और संस्कृति पर अपनी राय मांग रहा है।
IANS के इनपुट के साथ
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Source : News Nation Bureau