भारत के 'चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ' जनरल बिपिन रावत ने शुक्रवार को दावा किया कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है और चीन के साथ युद्ध की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि सीमा पर झड़पों और बिना उकसावे के सैन्य कारवाई के बड़े संघर्ष में तब्दील होने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता. जनरल बिपिन रावत ने कहा कि चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) लद्दाख में अपने दुस्साहस को लेकर भारतीय बलों की मजबूत प्रतिक्रिया के कारण अप्रत्याशित परिणाम का सामना कर रही है.
यह भी पढ़ें: भारत के सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने नेपाल के PM ओली से की मुलाकात
रावत ने कहा कि कुल मिलाकर सुरक्षा के लिहाज से सीमा पर टकराव, उल्लंघन, अकारण सामरिक सैन्य कार्रवाई बड़े संघर्ष का संकेत है और इससे इनकार नहीं किया जा सकता. साथ ही जनरल रावत ने यह भी कहा कि भारत का रुख स्पष्ट है और वह वास्तविक नियंत्रण रेखा में किसी भी बदलाव को स्वीकार नहीं करेगा. उन्होंने कहा कि चीनी सैनिकों को लद्दाख में अपने दुस्साहस के लिए अनिश्चित परिणाम का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि भारतीय जवानों ने उनके हर कदम का करारा जवाब दिया है.
रक्षा सहयोग के बारे में बोलते हुए सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देशों के साथ आपसी विश्वास और साझेदारी बनाने में रक्षा कूटनीति का महत्व समझता है. उन्होंने कहा कि भारतीय रक्षा उद्योग तेजी से बढ़ रहा है और आने वाले समय में समग्र रक्षा तैयारियों में योगदान देगा. रावत ने कहा कि उद्योग हमें पूरी तरह से भारत में निर्मित अत्याधुनिक हथियार और उपकरण उपलब्ध कराएगा.
यह भी पढ़ें: सीएए हिंसा में उपद्रव में वांछितों के राजधानी में लगे पोस्टर
इस दौरान रावत ने पाकिस्तान पर बयान दिया और कहा कि जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान के लगातार छद्म युद्ध और भारत के खिलाफ दुष्ट बयानबाजी के कारण दोनों देशों के संबंध और भी खराब हो गए हैं. जनरल बिपिन रावत आज दिल्ली में नेशनल डिफेंस कॉलेज द्वारा आयोजित डायमंड जुबली वेबिनार, 2020 में बोल रहे थे. हालांकि उनका यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब आज चुशूल में भारत और चीन के बीच सैन्य वार्ता चल रही है. सुबह 9.30 बजे से दोनों देशों के बीच आठवें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता चल रही है. भारत और चीन के बीच 7 महीनों से एलएसी पर गतिरोध जारी है. कई वार्ताओं के बावजूद अभी तक कोई सफलता नहीं मिली है.
उधर, चीन की चाल को नाकाम करने के लिए पूर्वी लद्दाख में हाड़ जमा देने वाली ठंड में भारत के लगभग 50,000 सैनिक किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पर्वतीय ऊंचाइयों पर तैनात हैं. अधिकारियों के अनुसार, चीनी सेना ने भी लगभग 50,000 सैनिक तैनात कर रखे हैं. भारत कहता रहा है कि सैनिकों को हटाने और तनाव कम करने की जिम्मेदारी चीन की है.