मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो 60 साल से देश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस पार्टी वर्तमान में वित्तीय संकट से जूझ रही है।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि कांग्रेस के पास फंड की इतनी कमी है कि पिछले 5 महीने से पार्टी नेतृत्व ने कई राज्य के पार्टी कार्यालयों को चलाने के लिए जरूरी पैसा तक नहीं दिया है।
बताया जा रहा है कि इस संकट से उबारने के लिए पार्टी सदस्यों से न केवल चंदा देने को कहा है बल्कि पार्टी पदाधिकारियों से खर्चों में कटौती करने को भी कहा गया है।
जानकारों की माने तो हालात इतने बुरे हैं कि कांग्रेस को 2019 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ कैंपेन चलाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है।
वहीं बीजेपी ने मार्च 2017 वित्तीय वर्ष में कांग्रेस की तुलना में एक चौथाई ज़्यादा फंड जुटाया है। बीजेपी ने क़रीब 65,317 करोड़ रुपये का चंदा हासिल किया है। पिछले साल की तुलना में देखा जाए तो बीजेपी के मुनाफ़े में करीब 81 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है।
यही नहीं, 7 राष्ट्रीय दलों में से उसकी अकेले की कमाई अन्य 6 पार्टियों को मिलाकर भी दोगुनी है। बीजेपी, कांग्रेस, बीएसपी, तृणमूल, सीपीएम, सीपीआई और एनसीपी जैसे राष्ट्रीय दलों को कुल 1,559 करोड़ रुपये चंदे के तौर पर मिले हैं। इसमें करीब दो तिहाई हिस्सा बीजेपी को ही मिला है।
वहीं कांग्रेस की बात करें तो मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस दौरान उन्होंने 14,213 करोड़ रुपये ही जुटाए हैं। यानी पिछले साल की तुलना में करीब 14 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स के मुताबिक कांग्रेस को 115.6 करोड़ रुपये की कमाई कूपन के जरिए हुई है। मार्च, 2018 की ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस ने अपनी इनकम से 96 करोड़ रुपये अधिक खर्च कर दिए।
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Source : News Nation Bureau