जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) का विवादों से पुराना नाता रहा है. स्थापना के कुछ वर्ष बाद ही 16 नवंबर 1980 से 3 जनवरी 1981 के बीच 46 दिनों के लिए जेएनयू को बंद कर दिया गया था. जेएनयू में गुंडों के वर्चस्व को खत्म करने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यह कठोर कदम उठाया था. यही नहीं तब हॉस्टल का दरवाजा तोड़कर तत्कालीन जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष राजन जी जेम्स को पकड़ा गया था. बीजेपी नेता और राज्यसभा सदस्य बलबीर पुंज ने अपने टि्वटर हैंडल पर यह बात कही है. कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा को संबोधित करते हुए पुंज ने कहा, श्रीमती वाड्रा! क्या आप जानती हैं कि आपकी दादी ने जेएनयू में गुंडों को खत्म करने के लिए क्या किया था.
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कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह के एक ट्वीट के जवाब में बलबीर पुंज ने कहा, क्या आपने उस समय विरोध किया था, जब इंदिरा गांधी ने जेएनयू को 46 दिनों के लिए बंद करवा दिया था और पुलिस को हॉस्टल में छापा मारने का आदेश दिया था. उस समय जेएनयूएसयू के तत्कालीन अध्यक्ष के कमरे में तोड़फोड़ की गई थी. दरअसल, दिग्विजय सिंह ने एक ट्वीट में कहा था- मोदी सरकार के वित्त मंत्री और विदेश मंत्री को न केवल जेएनयू हिंसा की घटना की सोशल मीडिया में निंदा करनी चाहिए, बल्कि एबीवीपी के गुंडों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने के लिए गृह मंत्री को मजबूर भी करना चाहिए? दिल्ली पुलिस उस समय क्या कर रही थी? क्या वे इसे रोक नहीं सकते थे?
बलबीर पुंज ने अपनी आगे की ट्वीट में लिखा- जेएनयू में हिंसा की आशंका क्यों है? स्थापना के 12 वर्ष के भीतर ही जेएनयू को 46 दिनों के लिए बंद कर दिया गया. छात्रावास के कमरों में तोड़-फोड़ की गई और जुझारू छात्रों को गिरफ्तार किया गया. उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं. हिंसा वामपंथियों की केंद्रीय विचारधारा में शामिल है और हिंसा के लिए मूल कारण यही है.
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बलबीर पुंज ने यह भी कहा, जेएनयू को एक कम्युनिस्ट उद्यम के रूप में शुरू किया गया. ज्ञान को लेकर वामपंथी खुद का एकाधिकार मानते हैं और असंतोष को बर्दाश्त नहीं करते. गैर कम्युनिस्टों के खिलाफ हिंसा वामपंथियों का सिद्धांत है. इसलिए जेएनयू अधिकांश समय अशांत रहता है.
Source : News Nation Bureau