मंगलवार की सुबह तक जब मृतकों की गिनती की जा रही थी, तब भारतीय सेना ने युद्ध स्तर पर कार्य करते हुए सेना के उस पुल के ढ़ांचे को मुकम्मल जगह पहुंचाया जो मूल रूप से लद्दाख की गलवान घाटी में तनाव का योददान दे रहा था. मीडिया में आई जानकारी के अनुसार 15 जून की रात को गलवान घाटी में चीन और भारत के सैनिकों के बीच हुए हिंसक हमले के कुछ ही घंटों बाद, जिसमें 20 भारतीय सेना के जवान और अज्ञात संख्या में चीनी सेना के जवान मारे गए थे, उस वक्त भारतीय सेना के जावांज इंजीनियरों को बिना रुके तेजी के साथ गलवान नदी पर एक पुल का निर्माण पूरा करेने का आदेश मिला था.
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जानकारी के अनुसार यह 60-मीटर का पुल, कनेक्टिविटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है जो भारतीय सैन्य इकाइयों को वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास के बिंदुओं तक तेजी से पहुंचने की रास्ता प्रदान करता है. गुरुवार दोपहर सेना ने इसे दो घंटे की अवधि में वाहनों के परीक्षण के साथ समाप्त कर दिया था.
स्थानीय स्तर पर, पुल को चीन के उकसावे और हिंसा दिखाने के बावजूद भारतीय सेना की शक्ति और जावांजी इरादे का प्रतीक माना गया. 'बेली ब्रिज' एक प्रकार का पोर्टेबल पुल है जिसमें पैदल सेना के लड़ाकू वाहनों सहित सभी प्रकार के सैन्य वाहनों के तेजी से आने-जाने के लिए धातु के पुल शामिल होते हैं.
Source : News Nation Bureau