भारत और चीन की लड़ाई के वक्त यानि साल 1962 सेना द्वारा अधिगृहित की गई ज़मीन का मुआवज़ा वहां के लोगों को मिल सकेगा। अधिग्रहण के करीब 55 साल बाद वहां के हजारों निवासियों के लिये ये एक खुशखबरी है।
केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर मुआवजे के लिए काम कर रही हैं। अगर मुआवजा मिलता है तो सरकार का ये कदम वहां के लोगों के लिए सुखद आश्चर्य से कम नहीं होगा। इन सभी को मुआवजा दिये जाने की राशि 3,000 करोड़ रुपये तक हो सकती है।
रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे और गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू और मुख्यमंत्री पेमा खांडू के अलावा केंद्र और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक में इस मुद्दे पर विचार किया।
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करीब एक एक घंटे चली इस बैठक में अरुणाचल से आने वाले किरण रिजिजू ने कहा कि 1962 के चीन युद्ध के बाद सीमावर्ती राज्य में रक्षा प्रतिष्ठानों के लिए अधिग्रहीत की गई जमीन के मुआवज़े के निपटारे के लिये ये बैठक बुलाई गई थी।
उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश के लोग राष्ट्रभक्त हैं लेकिन सेना ज़मीन का मुआवज़ा न मिलने के कारण वहां के लोगों में असंतोष पैदा हो रहा था।
रक्षा राज्य मंत्री भामरे ने अधिकारियों से कहा है कि वो विभिन्न विभागों और राज्य के अधिकारियों के साथ बेहतर समन्वय स्थापित कर इस मुद्दे को जल्द सुलझाएं।
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बैठक में अरुणाचल के मुख्यमंत्री खांडू ने कहा कि लीज दर, स्वामित्व के अधिकारों का अनुदान, दोहरे मुआवजे का भुगतान और जमीन की दरों का निर्धारण को जल्द ही तय कर लिया जाएगा।
राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश कैबिनेट ने लैंड मेनेजमेंट मंत्री की अध्यक्षता में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन कर दिया है। जो इससे जुड़े सभी लंबित मुद्दों पर विचार विमर्श करेगी।
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Source : News Nation Bureau