महंगाई पर लगाम लगाने के लिए भारत अपने पुराने और सबसे खास दोस्त रूस से क्रूड ऑयल के बाद अब गेहूं को भी आयात करने की योजना बना रहा है. इसके लिए केंद्र सरकार ने सारी तैयारियां कर ली हैं. सरकार को उम्मीद है कि क्रूड ऑयल की तरह रूस से उसे सस्ते दरों पर गेहूं मिल सकेगा. इससे खाने की कीमतों को कम किया जा सकता है. इस तरह से सरकारी स्तर पर गेहूं खरीद के साथ निजी स्तर पर भी गेहूं का इंपोर्ट हो सकता है. गौरतलब है कि देश में महंगाई अपनी चरम पर है. जुलाई माह में रिटेल महंगाई ने बीते 15 माह के रिकॉर्ड को तोड़ दिया. हरी सब्जियों के दाम के साथ गेहूं भी महंगा हो गया है. आटे की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है. ऐसा कहा जा रहा है कि बीते दो माह के दौरान गेहूं के दाम में 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
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इससे खाने-पाने की चीजें महंगी हो चुकी हैं. इस वजह से गेहूं के स्टॉक में कमी आने की आशंका है. सरकार सचेत हो गई है. वह देश में गेहूं का स्टॉक बढ़ाने को लेकर रूस से कम दामों पर गेहूं खरीदने की योजना बना रही है. इस तरह से बढ़ती महंगाई पर ब्रेक लग सकेगा. सरकार आगामी लोकसभा चुनाव से पहले स्थिति नियंत्रण में रखने की कोशिश कर रही है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, देश में अभी 30 से 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं की डिमांड है. मगर केंद्र सरकार रूस से 80 से 90 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद सकता है. केंद्र सरकार की मंशा है कि ज्यादा गेहूं इंपोर्ट करने पर महंगाई पर लंबे समय तक नियंत्रित किया जा सकता है. हालांकि अभी केंद्र सरकार गेहूं आयात नहीं कर रही है.
संभावित खतरे से निपटने की तैयारी
चुनाव से पहले सरकार महंगाई को नियंत्रित करने की तैयारी कर रही है. सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक कम हो रहा है. यह स्टॉक 20 प्रतिशत कम है. अगर चुनाव से पहले स्थितियां नियंत्रित नहीं रहीं तो उस पर काबू पाना मुश्किल होगा. ऐसे में सरकार गेहूं आयात पर जोर दे रही है. सरकारी गोदाम में अगस्त माह में गेहूं का स्टॉक 28.3 मिलियन टन रिकॉर्ड किया गया, जो कम हो गया है.
HIGHLIGHTS
- रिटेल महंगाई ने बीते 15 माह के रिकॉर्ड को तोड़ा
- गेहूं के दाम में 10 प्रतिशत का इजाफा हुआ है
- देश में अभी 30 से 40 लाख मीट्रिक टन गेहूं की डिमांड