तेलांगना पुलिस ने इसी महीने निजामाबाद से पीएफआई के चार कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया था, जिसमें एक मार्शल आर्ट ट्रेनर भी शामिल था. इन गिरफ्तारियों के संबंध में तेलंगाना पुलिस ने अदालत में अपनी जो रिपोर्ट दी है, उसकी रिपोर्ट न्यूज नेशन के पास मौजूद है. जिसमें कहा गया है कि किस तरह से पीएफआई अपने कैडर को देश विरोधी गतिविधियों के लिए ट्रेन कर रहा था. पीएफआई के संदिग्धों ने आंध्र प्रदेश के कर्नूल, प्रकासम, और कड़प्पा में ट्रेनिंग कैम्प लगा कर सैकड़ों युवकों को रेडिकलाईज किया और उन्हें हिंसा के लिए प्रशिक्षित भी किया. अपनी संगठनात्मक पहुंच बढ़ाने के लिए उन्होंने हैदराबाद के चंद्रयानगुट्टा, भैंसा, बोधन, जगित्याल में बैठक की और बैठक में भाग लेने वालों को अपनी चरमपंथी विचारधारा से अवगत कराया. उन्होंने अपनी बैठकों का विवरण अपनी डायरी में कोडित भाषा में दर्ज किया. मार्शल आर्ट ट्रेनर अब्दुल कादिर को 6 लाख रुपये का भुगतान करके पीएफआई में शामिल किया गया था और उसे पीएफआई के कार्यकर्ताओं को मार्शल आर्ट्स, कुंग फू की ट्रेनिंग की जिमेदारी दी गई थी ,साथ ही इन कार्यकर्ताओं को क़ानून के विभिन्न धाराओं और उनसे बचने के तरीक़े के बारे में भी शिक्षित किया जाता था.
गिरफ़्तार आरोपियों ने कबूल किया है कि पीएफआई का मुख्य मोटो सक्रिय मुस्लिम युवाओं का चयन करना और उनके दिमाग को हिंदू विरोधी विचारधारा से भर देना. उन्हें प्रशिक्षित कर के विशेष रूप से शारीरिक प्रशिक्षण दिया जाए ताकि उनका उपयोग मानव बम के रूप में कहीं भी किया जा सके. इनका उपयोग गैर-मुस्लिमों के खिलाफ दंगों के लिए देश को अस्थिर करने के लिए किया जाना था.
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पीएफआई इस काम के लिए ऐसे मुसलमानों का चयन करती है. जो गरीब हो. किसी अन्याय का शिकार हुए हों, ऐसे लोगों को इस्लामिक शासन और शरीयत को झांसा देकर पीएफआई में शामिल किया जाता है. उन्हें पत्थरबाजी से लेकर चाकू चलाने तक की ट्रेनिंग दी जाती है. फिर इन लोगों को ट्रेनिंग देकर देश के अलग अलग हिस्सों में भेजा जाता है. जहां पर वो दूसरे लोगों को ट्रेनिंग देते हैं. तेलंगाना पुलिस के मुताबिक, पीएफआई ने अपने एजेंडा को देश में फैलाने के लिए और कानून से बचने के लिए पीएफआई संगठन ने अलग अलग विंग बनाए हैं.
- सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया - राजनीतिक विंग
- कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया - स्टूडेंट विंग
- राष्ट्रीय महिला मोर्चा - वॉर्नन विंग
- अखिल भारतीय इमाम परिषद - धार्मिक विंग
- अखिल भारतीय कानूनी परिषद - अधिवक्ता विंग
- रिहैब इंडिया फाउंडेशन - सोशल एक्टिविटीज विंग
- मानव अधिकार संगठन के राष्ट्रीय परिसंघ (एनसीएचआरओ) - मानवाधिकार विंग
- सोशल डेमोक्रेटिक ट्रेड यूनियन - ट्रेड यूनियन
- एचआरडीएफ
इन संगठनों की मदद से ही पीएफआई पूरे देश में अपना जाल फैला रही है, और पीएफआई के लिए फंड जमा करने में भी यह संगठन मदद करते है. यही वजह है कि पीएफआई की फंडिंग की तह तक पहुंचाना जांच एजेंसियों के लिए एक चुनौती है. सामाजिक कार्य की आड़ में जुटाई गई धनराशि का उपयोग राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में किया जाता है. इस राशि का उपयोग गिरफ़्तार पीएफआई सदस्यों की कानूनी सहायता में भी किया जाता है.
HIGHLIGHTS
- पीएफआई पूरे देश में फैला रही है आतंक का जाल
- पीएफआई के कामनामों की लिस्ट न्यूज नेशन के पास
- परेशान युवकों को अपने जाल में फंसाती है पीएफआई