लोकसभा में गुरुवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दिवाला और दिवालियापन संहिता (संशोधन) विधेयक, 2017 पेश किया गया।
विधेयक में दिवाला और दिवालियापन संहिता (आईबीसी) में संशोधन करने की मांग की गई है, ताकि इस विधेयक की कमियों को दूर किया जा सके और जानबूझकर कर्ज नहीं चुकानेवाले बकाएदार खुद की परिसंपत्तियों की बोली नहीं लगा सकें।
आईबीसी का क्रियान्वयन कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा किया जा रहा है, जिसे 2016 के दिसंबर से लागू किया गया है, जो समयबद्ध दिवालिया समाधान प्रक्रिया प्रदान करता है।
प्रस्तावित परिवर्तनों से तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए खरीदारों का चयन करने की प्रक्रिया को सरल बनाने में मदद मिलेगी।
उदाहरण के लिए, वर्तमान संहिता में यह निर्धारित नहीं किया गया है कि दिवालियापन प्रक्रिया के तहत तनावग्रस्त परिसंपत्तियों के लिए कौन बोली लगा सकता है।
और पढ़ें: कुलभूषण के परिवार के साथ पाक का न तो सद्भाव दिखा, न मानवता- सुषमा
Source : IANS