कश्मीर मसले पर बातचीत के लिए मोदी सरकार की तरफ से नियुक्त वार्ताकार दिनेश्वर शर्मा गुरुवार को चौथे दिन घाटी में हैं। जहां अब तक अलगावादियों से मुलाकात नहीं हुई है। शर्मा गैर-राजनीतिक और राजनीतिक संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाकात कर रहे हैं।
हालांकि, अलगावादियों ने बातचीत के रास्ते पर आने से इनकार कर दिया है। गुरुवार को दिनेश्वर शर्मा से हुर्रियत से बातचीत में सफल होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 'नहीं।'
शर्मा ने बुधवार को कहा था, 'वह अलगाववादी नेताओं से मुलाकात करने का पूरा प्रयास कर रहे हैं। अभी तक मुझे मेरे दौरे के दौरान अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। अलगाववादी नेताओं ने हालांकि बयान जारी कर उनसे मुलाकात करने से मना कर दिया है।'
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अलगाववादी नेताओं का समूह संयुक्त प्रतिरोध नेतृत्व (जेआरएल) पहले ही मध्यस्थ के साथ किसी भी तरह की वार्ता की संभावना को खारिज कर चुका है। जेआरएल में अलगाववादी नेता सैयद अली शाह गिलानी, मीरवाइज उमर फारुक और यासीन मलिक शामिल हैं।
जेआरएल ने कुछ दिन पहले एक संयुक्त बयान जारी कर कहा था कि शर्मा की नियुक्ति 'अंतर्राष्ट्रीय दबाव और क्षेत्रीय मजबूरी' की वजह से अपनाई गई रणनीति का हिस्सा है और वे शर्मा से नहीं मिलेंगे।
कश्मीर मसले पर बातचीत के लिए केंद्र सरकार के विशेष प्रतिनिधि दिनेश्वर शर्मा सोमवार को पांच दिवसीय दौरे पर कश्मीर पहुंचे हैं। जम्मू-कश्मीर में 1992-94 में जब आतंकवाद अपने चरम पर था, उस समय शर्मा यहां खुफिया ब्यूरो के सहायक निदेशक थे।
कैबिनेट सचिव का दर्जा प्राप्त शर्मा जैसे ही श्रीनगर पहुंचे, उन्हें जेड श्रेणी सुरक्षा मुहैया कराई गई।
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Source : News Nation Bureau