INX मीडिया केस में सीबीआई पी चिदंबरम की भूमिका की जांच कर रही है. जांच एजेंसी ने 15 मई 2017 को यह मामला दर्ज किया था. चिदंबरम पर आरोप है कि वित्तमंत्री रहने के दौरान उन्होंने 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी फंड प्राप्त करने के लिए INX मीडिया समूह को एफआईपीबी मंजूरी देने में अनियमितता बरती थी. ईडी ने काले धन को सफेद बनाने (मनी लॉन्डरिंग) को लेकर उनके ऊपर 2018 में मामला दर्ज किया था. आइए हम आपको बताते हैं कि यह मामला आखिर है क्या.
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पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम पर आरोप है कि INX को फायदा पहुंचाने के लिए विदेशी निवेश को स्वीकृति देने वाले विभाग फॉरेन इनवेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) ने कई तरह की गड़बड़ियां की थीं. जब कंपनी को निवेश की स्वीकृति दी गई थी उस समय पी. चिदंबरम वित्त मंत्री हुआ करते थे. सीबीआई का आरोप है कि पी चिदंबरम ने अपने पावर का उपयोग कर INX मीडिया को एफआईपीबी से क्लीयरेंस दिलवाया था. सीबीआई के साथ ही इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का भी केस दर्ज किया गया था, जिसकी जांच प्रवर्तन निदेशालय कर रहा है.
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कार्ति चिदंबरम के 2019 लोकसभा चुनाव के शपथपत्र के अनुसार उनके खिलाफ 8 मामले लंबित हैं, इनमें से तीन एफआईआर सीबीआई ने और 2 एफआईआर ईडी ने दर्ज किया है. इनमें से किसी में भी आरोप तय नहीं हुए हैं. एयरसेल-मैक्सिस और आईएनएक्स मीडिया मामलों में सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय एजेंसियों की जांचों का सामना कर रहे कार्ति ने अपने हलफनामे में घोषणा की है. साल 2017 मई में प्रवर्तन निदेशालय ने कार्ति चिदंबरम के खिलाफ एक केस दायर किया था, जिसमें विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड ने कानूनी लिमिट से अधिक के विदेशी निवेश प्राप्त करने के लिए आईएनएक्स मीडिया को मंजूरी में अनियमितताओं का आरोप लगाया था. ये आईएनएक्स मीडिया में विदेशी निवेश का मामला था जब पी चिदंबरम केंद्रीय वित्त मंत्री थे. प्रवर्तन निदेशालय ने अनुसार कार्ति चिदंबरम पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है.
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कार्ति चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया को 2007 में एफआईपीबी से मंजूरी दिलाने के लिए कथित रूप से रिश्वत लेने के आरोप में 28 फरवरी 2018 को गिरफ्तार किया गया था. कार्ति के खिलाफ आरोप हैं कि उन्होंने आईएनएक्स मीडिया के खिलाफ संभावित जांच को रुकवाने के लिए 10 लाख डॉलर की मांग की थी. सीबीआई का कहना था कि आईएनएक्स मीडिया की पूर्व डायरेक्टर इंद्राणी मुखर्जी ने उनसे पूछताछ में कहा था कि कार्ति ने पैसों की मांग की थी. जांच एजेंसी के मुताबिक ये सौदा दिल्ली के एक पांच सितारा होटल में तय हुआ था.
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Aircel Maxis मामला
एयरसेल मैक्सिस डील का मामला फॉरेन इन्वेस्टमेंट प्रमोशन बोर्ड (FIPB) से जुड़ा है. साल 2006 में जब पी चिदंबरम मनमोहन सिंह सरकार में वित्त मंत्री थे तो उन्होंने इस डील को मंजूरी दी थी और अब उन पर आरोप है कि चिदंबरम के पास तो सिर्फ 600 करोड़ रुपए तक के ही प्रोजेक्ट को मंजूरी देने का अधिकार था. अगर इससे अधिक के प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के लिए चिदंबरम को आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति से मंजूरी लेनी पड़ेगी लेकिन उन्होंने इस प्रोजेक्ट के लिए मंजूरी नहीं ली थी. एयरसेल मैक्सिस डील मामला 3,500 करोड़ की एफडीआई की मंजूरी का था. इस मामले में फिलहाल दिल्ली की एक अदालत ने पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय की ओर एफआईआर दर्ज की गई है.
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तीसरा और नया मामला एयरबस का है
यूपीए सरकार के कार्यकाल में कथित तौर पर हुये विमानन घोटाले में धनशोधन रोधी मामले में अब प्रवर्तन निदेशालय ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को तलब किया है. अधिकारियों ने बताया कि चिदंबरम को 23 अगस्त को प्रवर्तन निदेशालय के कार्यालय में मामले के जांच अधिकारी के सामने पेश होकर बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो