1983 बैच के आईपीएस अफसर ऋषि कुमार शुक्ला (Rishi Kumar Shukla) को सीबीआई (CBI) के नए निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय कमिटी ने शुक्ला के नाम पर मुहर लगाई. बतौर सीबीआई निदेशक ऋषि कुमार शुक्ला का कार्यकाल दो साल का होगा. ऋषि कुमार मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक भी रह चुके हैं. एक आधिकारिक अधिसूचना के अनुसार, 'समिति की अनुशंसा वाले पैनल के आधार पर दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना अधिनियम, 1946 के अनुच्छेद 4 ए(1) के आधार पर गठित कैबिनेट की चयन समिति ने ऋषि कुमार शुक्ला को दो वर्ष के लिए सीबीआई के निदेशक के तौर पर चुना.' मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी सरकार में डीजीपी रहे शुक्ला इस समय पुलिस हाउसिंग कॉर्पोरेशन के प्रमुख थे. उन्हें सीबीआई में काम करने का तो कोई अनुभव नहीं है, मगर इंटेलीजेंस ब्यूरो में काम कर चुके हैं.
पीएस मोदी की शुक्रवार को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के नए निदेशक को चुनने के लिए सेलेक्शन कमेटी की बैठक हई थी, लेकिन बेनतीजा रही. इस कमेटी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल थे. सीबीआई निदेशक पद के लिए 33 उम्मीदवारों को चुना गया जिसमें मध्य प्रदेश के डीजीपी आरके शुक्ला को सीबीआई निदेशक पद का अहम दावेदार बताया गया था. अलोक वर्मा के हटने के बाद दस जनवरी से सीबीआई निदेशक का पद खाली था, जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भी जताई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि जल्द से जल्द नए सीबीआई डायरेक्टर की नियुक्ति की जाए. अदालत ने पूछा था कि सीबीआई में कब तक अंतरिम निदेशक की स्थिति बनी रहेगी, जिसका सरकार ने जवाब दिया. सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति नवीन सिन्हा की पीठ ने केंद्र से कहा था कि सीबीआई निदेशक का पद संवेदनशील है और सरकार को अबतक एक नियमित निदेशक नियुक्त कर देना चाहिए था.
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पिछले महीने पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में अलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक के पद से हटा दिया था. आलोक वर्मा 1979 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्हें राकेश अस्थाना के साथ टकरार सार्वजनिक होने के बाद 23 अक्टूबर को छुट्टी पर भेज दिया गया था. आलोक वर्मा को शीर्ष अदालत ने फिर से सीबीआई निदेशक के तौर पर बहाल कर दिया था. करीब दो घंटे तक चली सेलेक्शन कमिटी बैठक में अलोक वर्मा पर गाज गिरी थी. सिलेक्शन कमिटी ने 2-1 से यह फैसला लिया और आलोक वर्मा को हटा दिया गया था. मल्लिकार्जुन खड़गे अलोक वर्मा को हटाने के विरोध में थे. सुप्रीम कोर्ट के अलोक वर्मा को फिर से बहाल करने के फैसले के बाद उच्चस्तरीय चयन समिति की बैठक हुई थी. सीवीसी की रिपोर्ट में वर्मा के खिलाफ आठ आरोप लगाए गए थे. यह रिपोर्ट उच्चस्तरीय समिति के सामने रखी गई.
31 जनवरी को अलोक वर्मा का कार्यकाल समाप्त होना था. 55 सालों में पहली बार सीबीआई के इतिहास में अलोक वर्मा प्रमुख है जिन्होंने ऐसे कार्रवाई का सामना किया है. अलोक वर्मा को फायर सर्विस, सिविल डिफेंस और होम गार्ड का डायरेक्टर जनरल का पदभार लेने से इंकार कर दिया और अपनी सेवा से इस्तीफा दे दिया. वर्मा को विशेष निदेशक राकेश अस्थाना के साथ उनके झगड़े के मद्देनजर 23 अक्टूबर 2018 की देर रात विवादास्पद सरकारी आदेश के जरिये छुट्टी पर भेज दिया गया था.
Source : News Nation Bureau