नई दिल्ली में इजरायली दूतावास (Israel Embassy) के हुए बम धमाके में अब एनआईए (NIA) और मोसाद को जो साक्ष्य मिले हैं, उससे पता चलता है कि इसके पीछे ईरान (Iran) की कुद्स फोर्स का हाथ था. हालांकि बम भारत (India) के लोकल मॉड्यूल के सहारे प्लांट किया गया था. ईरान ने धमाके की जिम्मेदारी से बचने के लिए ऐसे सबूत छोड़े थे कि उसके पीछे आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) का हाथ लगे. यही नहीं, दूतावास के बाहर धमाके के बाद एक अनजान से संगठन जैश उल हिंद ने भी इसकी जिम्मेदारी ली थी. यह अलग बात है कि एनआईए मिले सबूतों के आधार पर ईरान को ही इसके लिए जिम्मेदार ठहरा रही है.
मिले सबूत कर रहे इशारा
गौरतलब है कि इजरायली दूतावास के बाहर हुए आईडी धमाके को एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है. जांच में लगी भारत की आतंकरोधी एजेंसी ने संदिग्धों की एक सूची तैयार की है और अपनी जांच के बाद फाइनल रिपोर्ट में बताया है कि इस धमाके के पीछे ईरान कुद्स फोर्स का हाथ था. इस आशय की एक रिपोर्ट अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स में भी प्रकाशित की गई है. सूत्रों के मुताबिक ईरानी कुद्स फोर्स इस आतंकी साजिश के पीछे था, लेकिन यह बम एक स्थानीय भारतीय शिया मॉड्यूल ने प्लांट किया था, इतना ही नहीं जानबूझकर ऐसे सबूत छोड़े गए जिससे हमले के पीछे आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का हाथ लगे लेकिन आतंकरोधी एजेंसियां अब यह पुख्ता कर चुकी हैं कि यह हमला ईरान की कुद्स फोर्स ने इजरायल के खिलाफ किया था.
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ईरान सिर्फ खतरे का आभास कराना चाहता था
पहचान जाहिर न करने की शर्त पर हमले के पीछे ईरानी एंगल की जांच से जुड़े एक काउंटर टेरर एक्सपर्ट ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, 'बम ज्यादा तीव्रता का नहीं था, न तो इसका लक्ष्य लोगों को नुकसान पहुंचाने का था. ऐसा इसलिए भी क्योंकि शायद ईरान भारत जैसे दोस्ताना रिश्ते वाले देश के साथ संबंध खराब नहीं करना चाहता था, लेकिन संदेश साफ था और खतरा भी असली था.' गौरतलब है कि इसी साल 29 जनवरी को नई दिल्ली में इजरायली दूतावास के बाहर कम तीव्रता वाला धमाका हुआ था. जांच में यह भी पता लगा है कि धमाका रिमोट कंट्रोल वाले डिवाइस से किया गया था.
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चिट्ठी में इजरायल को बताया गया शैतान देश
हालांकि अभी तक यह नहीं पता लगा है कि यह क्रूड बम था या फिर कुछ और. बम को लेकर फॉरेंसिक लैब की रिपोर्ट अभी आना बाकी हैं. जांच एजेंसियों का मानना है कि धमाके के लिए इस्तेमाल किया गया उपकरण या तो इलेक्ट्रिक डिटोनेटर के साथ अमोनियम नाइट्रेट फ्यूल एक्सप्लोसिव था या फिर पीईटीएन था. एजेंसियों को यह पता है कि धमाके के लिए जिस डिवाइस का इस्तेमाल किया गया उसमें अमोनियम पाउडर के अंश मिले हैं. भारतीय एजेंसियों को घटनास्थल से एक चिट्ठी मिली थी जो भारत में इजरायली राजदूत रॉन मलका को लिखा गया था. चिट्ठी में मलका को आतंकी और आतंकी देश का शैतान बताया गया है. इस धमाके की जांच में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद भी भारतीय एजेंसियों का साथ दे रही है.
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ईरान फिलहाल है धमाके पर खामोश
सूत्रों के मुताबिक, घटनास्थल से मिली चिट्ठी की जांच के बाद पता लगा है कि इसे लिखे जाने का अंदाज, चिट्ठी में लिखे गए नामों की स्पेलिंग से यह साफ है कि किसी ईरानी ने इसे लिखा है. संभवत: यह चिट्ठी किसी एजेंट द्वारा पहुंचाई गई है. इस चिट्ठी में ईरान कुद्स फोर्स के जनरल कासिम सुलेमानी और अबु मेहदी अल मुहंदीस की मौत का बदला लेने की बात थी. ये दोनों ही अमेरिकी ड्रोन हमले में मारे गए थे. हिन्दुस्तान टाइम्स ने इस मामले में ईरानी दूतावास से भी संपर्क किया लेकिन अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है.
HIGHLIGHTS
- आतंकरोधी जांच एजेंसियों के मिले सबूतों का निष्कर्ष
- एक लोकल मॉड्यूल के जरिए कराया गया बम प्लांट
- लीड ऐसी छोड़ीं, जो इशारा कर रही आईएसआईएस पर