विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कोरोना वायरस के खिलाफ भारत की कोशिशों की सराहना की है. एक मीडिया चैनल को दिए इंटरव्यू में डॉ. डेविड नवारो ने देश में जारी लॉकडाउन को अच्छा कदम बताया. उन्होंने कहा, यूरोप और अमेरिका जैसे विकसित देशों ने जहां कोरोना को गंभीरता से नहीं लिया, वहीं भारत में इस पर तेजी से काम किया. डॉ. नवारो ने मलेरिया प्रोन एरिया और बीसीजी के टीके से बीमारी का असर कम होने जैसे तमाम सवालों के भी विस्तार से जवाब दिए. लॉकडाउन को लेकर लोगों को होने वाली परेशानियों पर उन्होंने कहा कि तकलीफ जितनी ज्यादा होगी, उससे उतनी ही जल्दी निजात मिलेगी.
सवाल: दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में कोरोना को लेकर भारत द्वारा उठाए गए कदमों को आप किस तरह देखते हैं?
जवाब: बीमार को गंभीरता से लेने के लिए भारत के लोगों का शुक्रिया. भारत के पास इससे मुकाबला करने की अच्छी क्षमता है. आपके देश ने सख्त कदम उठाए. यह यह खामोशी से हमला करने वाला दुश्मन है. मुझे खुशी है कि भारत ने तुरंत एक्शन लिया. सरकार की पूरी मशीनरी ने मिलकर काम किया.
हालांकि दूसरे देशों में यह गंभीरता नहीं दिखाई दी. उन्होंने माना कि महज कुछ केस आने पर यह गंभीर समस्या नहीं है. अब आप देखिए कि अमेरिका में क्या हो रहा है. अगर यह स्थिति भारत में बनती, तो क्या होता, यहां तबाही आ सकती थी. हमें मिलकर इस खतरे का सामना करवना होगा और मजबूती के साथ मिलकर लड़ना होगा.
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सवाल: इटली और अमेरिका में भारत से बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं हैं, लेकिन वहां हालात बदतर हैं, ऐसे में भारत जैसे देश के लिए आपकी क्या सलाह है?
जवाब: इटली और अमेरिका में कोविड-19 का गंभीर असर हुआ, क्योंकि वहां समुदाय में वायरस घूमता रहा. उन देशों ने लक्षण मिलने पर भी लोगों को आइसोलेट नहीं किया. अगर आप तेजी से एक्शन नहीं लेते, तो मुश्किल बढ़ सकती है. तेजी से एक्शन लेना ही एकमात्र समाधान है.
सवाल: बीमारी से बचाव के लिए मास्क पहनना कितना कारगर है?
जवाब: संक्रमित लोगों को मास्क का इस्तेमाल करना चाहिए, ताकि सांस के जरिए दूसरे लोगों में संक्रमण न फैले. ऐसे लोग दूसरों से कम से कम दो मीटर की दूरी पर रहें. इसी के साथ खांसने और छींकने के सही तरीके को जानना जरूरी है.
सबसे ज्यादा सुरक्षा की जरूरत हेल्थ वर्कर्स को है. वे फ्रंटलाइन वर्कर हैं। मरीजों के संपर्क में आते हैं. उनका सम्मान किया जाना चाहिए. उनके लिए मास्क जरूरी है. हालांकि मैं ज्यादा लोगों को मास्क पहनाने का समर्थन करता हूं, क्योंकि यह वायरस किसी को भी तेजी से अपनी चपेट में लेता है.
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सवाल: भारत की आबादी बहुत ज्यादा है. घनी आबादी की वजह से कई लोग लॉकडाउन में फंस गए. कई लोग धार्मिक स्थानों पर जमा रह गए. ऐसी स्थिति में लॉकडाउन क्या बचाव का सही तरीका है?
जवाब: यह वायरस तभी ट्रांसफर होता है, जब लोग नजदीक आते हैं. हो सकता है आप बीमार महसूस न करें, लेकिन अगर आप खांसते या छींकते हैं, तो दूसरे लोगों को संक्रमित कर सकते हैं. कई बार ऐसे संक्रमण से लोगों की मौत तक हुई है. इसलिए लोगों से दूरी बनाकर रखें. अगर आपको सांस लेने में तकलीफ है, तो खुद को आइसोलेट करें. परिवार के साथ रहते हैं, तो उन्हें भी आइसोलेट करें. कम से कम चौदह दिन तक किसी के संपर्क में न आएं.
सबकी जांच करना मुमकिन नहीं है. यूरोप और अमेरिका में भी नहीं किया जा सकता, इसलिए हमें लोगों पर सख्त निगरानी रखनी चाहिए. जो भी संदिग्ध हो, उसे आइसोलेट किया ही जाना चाहिए. ऐसा करने से संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है. इसके बाद हालात सुधरने पर सरकार लॉकडाउन में छूट दे सकती है.
सवाल: क्या भारत में 21 दिन का लॉकडाउन काफी है? अगर इसे बढ़ाना हो तो किस आधार पर बढ़ाया जा सकता है?
जवाब: लॉकडाउन को जारी रखने या खत्म करने का फैसला कई बातों को ध्यान में रखकर किया जा सकता है. लॉकडाउन को कब, कहां और कितना खत्म किया जाए, इसका फैसला संक्रमण की संख्या से तय होता है. अगर आप किसी संक्रमित से बात करें तो पता चलेगा कि वह कितने लोगों से मिला है। उनमें भी संक्रमण होने की संभावना है। लॉकडाउन के दौरान संपर्क में आने वाले लोगों की संख्या बेहद ही सीमित हो सकती है. जिससे इसकी रोकथाम में मदद मिल सकती है.
जो देश लॉकडाउन के दौरान लोगों से मिलने वालों की संख्या पर नजर रख सकते हैं, वे संक्रमण भी थाम सकते हैं. जहां तक लॉकडाउन हटाने का सवाल है, तो यह देखा जाना चाहिए कि हमारी स्वास्थ्य सुविधाएं कितनी तैयार हैं. क्या मेडिकल स्टाफ को प्रोटेक्टिव गियर मिल सके हैं. क्या स्थानीय स्तर पर बचाव की सामग्री उपलब्ध है. साथ ही बीमारी से बचाव को लेकर हमारा समुदाय कितना तैयार है - क्या पंचायत, जिले से लेकर हर स्तर पर लोग बचाव के तौर-तरीके जानने लगे हैं। क्या वे बचाव का प्रोटोकॉल समझ सके हैं. इन सवालों के जवाब मिलने पर आप संक्रमण के फैलाव वाले इलाकों की पहचान कर सकते हैं.
21 दिन में जरूरी इंतजाम हो गए, तो लॉकडाउन खोला जा सकता है. अगर यह नहीं खुलता है, तो इसका मतलब है कि अभी समस्या से मुकाबले की तैयारी पूरी नहीं है. कोई भी लॉकडाउन को लंबे वक्त तक जारी रखना नहीं चाहेगा. यह सबके लिए बहुत परेशानी भरा है. लेकिन अगर जरूरत पड़ी, तो भारत सरकार यह फैसला लेगी, क्योंकि उसने अब तक काफी सख्ती दिखाई है.
सवाल: डब्ल्यूएचओ ने कई बार कोरोनो को लेकर भारत की तारीफ की है. प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी कहा था कि इस देश ने पोलियो और चिकन पॉक्स को खत्म किया है.
जवाब: भारत के लोग जानते हैं कि इस समस्या से कैसे निपटा जाए. इस तरह के संकट के दौरान खाने-पीने की चीजों की कीमतें बढ़ सकती हैं. लेकिन भारतीय इसकी कमी से निपटना भी जानते हैं. हालांकि ये भी बहुत जरूरी है कि आप उन समुदायों का ध्यान रखें, जिनके पास खाने-पीने की चीजों की कमी हो सकती है। आप जितनी जल्दी एक्शन लेंगे, आपकी परेशानियां उतनी ही कम होंगी.
सवाल: भारत में कुछ डॉक्टर मानते हैं कि भारत को कम चिंता की जरूरत है. बीसीजी वैक्सीन, मलेरिया वाले इलाकों में कम संक्रमण के आंकड़े इसकी वजह हैं. साथ ही भारत आते-आते वायरस कमजोर हुआ है?
जवाब: हम सच में उम्मीद करते हैं कि यहां पहुंचते-पहुंचते वायरस की ताकत कम हो जाए. उन तमाम देशों में जहां मौसम गर्म है, वहां लोग संक्रामक बीमारियों के संपर्क में रहते हैं. उनकी प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है.हम उम्मीद करते हैं कि यहां कोविड-19 भारतीयों के शरीर में ही हार जाए।
जहां तक बीसीजी इम्यून सिस्टम की वजह से लोगों में संक्रमण से बचाव की बात है, तो मैं इससे भी मदद मिलने की उम्मीद करता हूं. साथ ही, लोगों का एज ग्रुप बीमारी से मुकाबले का अहम फैक्टर है.
सवाल: यूएस इंटेलिजेंस ने कहा कि चीन ने वायरस के फैलने की बात छुपाई. आपका क्या कहना है? क्या आप मानते हैं कि दुनिया को इन सवालों का जवाब मिलना चाहिए?
जवाब: हां, दुनिया को इस सवाल का जवाब जानने का हक है. जब भी मैं इस तरह के तेजी से फैलने वाले संक्रमण के मामले देखता हूं तो में हमेशा यही कहता हूं कि काश हमने जल्दी एक्शन लिया होता. व्यक्तिगत तौर पर खुद से पूछता हूं कि क्या मैंने वायरस से लड़ने के लिए आवाज बुलंद की? क्या मैंने लोगों से युद्धस्तर पर तैयार रहने को कहा? मैं जिंदगीभर खुद से ये सवाल पूछता रहूंगा. ये सवाल सभी के जेहन में होगा कि काश ये किया होता। या क्या सूचना छिपाई गई.
फिलहाल समय इंटरनेशनल रिलेशन बनाने-बिगाड़ने या एक-दूसरे पर आरोप में समय खराब करने का नही है. जब वक्त आएगा, तो इसका जवाब देंगे. अभी साथ मिलकर मुश्किल से मुकाबला करने का समय है, तभी हम इस पर जीत हासिल कर सकेंगे.