Is Nitin Gadkari Quitting Active Politics? : ये सवाल अक्सर राजनीतिक गलियारों में आ जाता है, वो भी खुद नितिन गडकरी की वजह से ही. पिछले साल जुलाई महीने में पॉलिटिकल लाइफ से मोहभंग होने का इशारा कर चुके नितिन गडकरी ने एक बार फिर से ऐसा संकेत दिया है कि वो अगले लोकसभा चुनाव को लड़ने के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक नहीं हैं. दो दिन पहले वो एक अवॉर्ड फंक्शन में शामिल होने पहुंचे थे, यहां उन्होंने कुछ ऐसा ही इशारा दिया कि वो अगले चुनाव को लेकर बहुत उत्सुक नहीं हैं. अगर जनता चाहेगी, तो वो इस बारे में सोचेंगे. वर्ना अब वो चुनावी राजनीति से ऊब चुके हैं. नितिन गडकरी ने पिछले साल जुलाई महीने में एक कार्यक्रम में बयान दिया था कि कई बार मुझे ये समझ नहीं आता कि मैं राजनीति करूं या छोड़ दूं.
नितिन गडकरी क्या संदेश देना चाहते हैं?
नितिन गडकरी भारतीय जनता पार्टी में संगठन के स्तर पर काफी मजबूत नेता माने जाते हैं. नितिन गडकरी को संघ का भी समर्थन खूब मिलता रहा है. हालांकि कथित तौर पर वो भारतीय जनता पार्टी के ही मौजूदा शीर्ष नेतृत्व की पसंद नहीं माने जाते. भले ही उनके लिए कभी भारतीय जनता पार्टी का संविधान तक बदल दिया गया था, लेकिन अब वो पार्टी की गतिविधियों में कम ही शामिल होते हैं. नितिन गडकरी के बारे में माना जाता है कि वो संघ समर्थित हैं और उन्हें हमेशा संघ का साथ मिलता रहा है. लेकिन कुछ साल पहले उन्होंने बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व को अपने बयानों से जो झटके दिये थे, वो उनपर भारी पड़ रहे हैं. यही वजह है कि संगठन अब उन्हें उपेक्षित करता दिखता है.
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गडकरी की जगह रोडकरी की पहचान
नितिन गडकरी के कामों के प्रशंसक पूरे देश में हैं. भले ही साल 2014 से पहले उन्होंने कोई चुनाव सीधे लड़ा नहीं था, फिर भी वो महाराष्ट्र में अपने कामों के चलते जाने जाते हैं. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में लोकसभा के दो ही चुनाव लड़े हैं. इन सालों में उन्होंने नागपुर का प्रतिनिधित्व लोकसभा में किया है. उन्होंने नागपुर में उस व्यक्ति को हराकर 2014 में वो सीट जीती, जो उसी सीट से कांग्रेस के टिकट पर 7 बार सांसद रहा था. ऐसे में नितिन गडकरी की राजनीतिक शख्सियत का अंदाजा लगाया जा सकता है. महाराष्ट्र ही नहीं, अब पूरे देश में अगर किसी एक नेता के सबसे ज्यादा काम करने की पहचान बनी है तो वो नितिन गडकरी हैं. सांसद बनने के महज 8-9 सालों में उन्होंने पूरे नागपुर को बदल दिया है. यही वजह है कि देश में लोग उन्होंने गडकरी के साथ ही रोडकरी के नाम से भी पहचानने लगे हैं.
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प्रधानमंत्री पद को लेकर गिवअप कर चुके हैं गडकरी?
नितिन गडकरी बीजेपी के अध्यक्ष बने थे, तो माना जा रहा था कि वो सिर्फ पार्टी को संघ के इशारे पर चलाने आए हैं. क्योंकि महाराष्ट्र में मंत्री रहते हुए भी उन्होंने संगठन के स्तर पर काम काफी कम किया था. लेकिन नितिन गडकरी ने सभी शंकाओं को निर्मूल साबित कर दिया था. आज मोदी सरकार में किसी को बिना किसी राजनीतिक संपर्क या गुरु-शिष्य परंपरा के लोग कामकाज के आधार पर नरेंद्र मोदी का उत्तराधिकारी समझते हैं, तो वो नितिन गडकरी ही हैं. लेकिन नितिन गडकरी ने खुद की ऐसी पहचान स्थापित कर ली है कि वो किसी भी गुरु-शिष्य परंपरा से ऊपर उठ चुके हैं और सिर्फ अपने काम के दम पर ही वो राजनीति करते हैं. उन्होंने हाल ही में बयान दिया है कि अगर उनके क्षेत्र की जनता को लगेगा कि वो काम नहीं कर पा रहे हैं, तो वो उन्हें चुनेगी ही नहीं. माना जाता है कि नितिन गडकरी की इच्छाएं राजनाथ सिंह की तरह ही हैं कि एक न एक दिन वो अपने काम के दम पर देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं. यही वजह है कि वो मोदी की छत्रछाया से निकल कर पार्टी लाइन से अलग बयानबाजी भी कर रहे थे. लेकिन अब उन्हें समझ आ गया है कि अभी उनका वक्त प्रधानमंत्री बनने का नहीं आया. हालांकि राजनीति में कब क्या हो जाए, इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता. ऐसे में गडकरी राजनीतिक दुनिया से संन्यास ले लेंगे, ये महज अटकलबाजी भी हो सकती है.
HIGHLIGHTS
- नितिन गडकरी क्यों दे रहे बार-बार क्रिप्टेड मैसेज?
- क्या राजनीतिक दुनिया से हो चुका है गडकरी का मोहभंग?
- नितिन गडकरी के लिए कभी बदल दिया गया था बीजेपी का नियम