विधानसभा चुनाव सिर पर हैं और कांग्रेस में सिर फुटौव्वल जोरों पर है. हरियाणा और महाराष्ट्र में क्रमशः अशोक तंवर और संजय निरुपम ने पार्टी के खिलाफ बगावत का बिगुल फूंक दिया है. अशोक तंवर ने तो बाकायदा पार्टी छोड़ने की घोषणा भी कर दी है. संजय निरुपम ने भविष्यवाणी कर दी है कि दो-चार सीटों को छोड़कर हर जगह कांग्रेस की जमानत जब्त हो जाएगी. दुर्दिन के इन दिनों में पार्टी को मंझधार में छोड़कर राहुल गांधी के बैंकॉक टूर की खबरें आ रही हैं. ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है? दो दिन पहले संजय निरुपम ने प्रेस कांफ्रेंस में घोषणा की थी कि राहुल गांधी से नजदीकी की उन्हें सजा मिल रही रही है. अशोक तंवर भी राहुल गांधी के नजदीकी नेताओं में थे. उधर झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष रहे अजोय कुमार ने भी पार्टी को अलविदा कह दिया है. वे आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं. तो क्या कांग्रेस में राहुल गांधी के नजदीकी नेताओं की छंटनी हो रही है या उन्हें किनारे किया जा रहा है? क्या सोनिया और राहुल गांधी के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है?
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लोकसभा चुनाव के बाद से कांग्रेस के कई नेताओं ने पार्टी का दामन छोड़ दिया है. महाराष्ट्र में ऐसे नेताओं की गिनती सबसे अधिक है, जहां इसी 21 अक्टूबर को चुनाव होने जा रहे हैं. बिहार में भी कांग्रेस के एक बड़े नेता ने पार्टी छोड़ दी है. उत्तर प्रदेश में विधायक अदिति सिंह ने भी बगावत का बिगुल फूंक दिया है. राजस्थान में उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए मुसीबतें खड़ी कर रखी हैं. जम्मू कश्मीर में कांग्रेस के कई नेता बीजेपी में शामिल होने को तैयार बैठे हैं. दिल्ली में शीला दीक्षित के निधन के बाद से कांग्रेस का कोई नेतृत्व नजर नहीं आ रहा है. हरियाणा में चुनाव से ऐन पहले कांग्रेस को झटके पर झटके लग रहे हैं.
सितम्बर के आखिरी हफ्ते में सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों को चुनने के लिए आयोजित चुनाव समिति की बैठक की अध्यक्षता की. इस बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी मौजूद नहीं रहे. इस बाबत सवाल पूछने पर राहुल गांधी के कार्यालय की ओर से कहा गया कि राहुल गांधी चुनाव समिति के सदस्य नहीं हैं. इसलिए वे बैठक में नहीं पहुंचे.
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लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद से ही पार्टी के अंदर हालात ये रहे कि कभी राहुल के पसंद रहे या यूं कहें कि टीम राहुल का हिस्सा रहे नेता या तो पार्टी छोड़ गए या हाशिए पर चले गए हैं. अमेठी से आने वाले संजय सिंह जिन्हें राहुल-प्रियंका का करीबी माना जाता था, उन्होंने भी बीजेपी का दामन थाम लिया. कांग्रेस की प्रवक्ता रहीं प्रियंका चतुर्वेदी शिवसेना में चली गईं. प्रियंका चतुर्वेदी मुंबई से चुनाव लड़ना चाहती थीं, लेकिन पार्टी में उनकी बात नहीं सुनी गई और प्रियंका की जगह उर्मिला मातोंडकर को पार्टी में शामिल करा उनको टिकट दे दिया गया, जिससे प्रियंका नाराज़ चल रही थीं. दूसरी ओर, उर्मिला मातोंडकर ने भी अपनी विचारधारा बदलने में देर नहीं की. महाराष्ट्र से पार्टी के उत्तर भारत के बड़े चेहरे रहे कृपाशंकर सिंह जो प्रियंका गांधी के भी काफी करीबी माने जाते थे, उन्होंने भी विधानसभा चुनाव से ठीक पहले स्थिति को भांपते हुए कांग्रेस से किनारा कर लिया था.
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यह पहली बैठक नहीं थी, जिसमें राहुल गांधी अनुपस्थित रहे. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, राहुल गांधी कांग्रेस की 12 सितंबर की बैठक में भी शामिल नहीं हुए थे. उस बैठक की अध्यक्षता भी सोनिया गांधी ने ही की थी, जिसमें कई अहम फैसले लिए गए थे और देश के आर्थिक हालात पर भी चर्चा की गई. बैठक में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वरिष्ठ नेता ए.के. एंटनी समेत अन्य शामिल रहे. नवजोत सिंह सिद्धू जिन्हें राहुल गांधी ने पार्टी में शामिल करवाया था को इस्तीफ़ा देना पड़ा था. अशोक चौधरी जिन्हें राहुल के कारण ही बिहार की कमान दी गई थी, उन्होंने नीतीश की पार्टी जद यू का दामन थाम लिया था.
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इन नेताओं के अलावा ज्योतिरादित्य सिंधिया, मिलिंद देवड़ा, संजय निरुपम, अजय माकन, अशोक तंवर, प्रताप सिंह बाजवा को टीम राहुल का अहम सदस्य माना जाता था, सोनिया गांधी की टीम में इन्हें अहमियत नहीं मिल रही है. सोनिया गांधी के दुबारा अध्यक्ष बनने के बाद राहुल की पसंद के नेता की पार्टी में हैसियत कम होती चली जा रही है.
HIGHLIGHTS
- सोनिया गांधी की टीम में ख़त्म होती जा रही राहुल के करीबियों की अहमियत
- हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी नहीं निभा रहे कोई भूमिका
- चुनाव के बीच पार्टी को मंझधार में छोड़ राहुल गांधी के विदेश जाने जाने की खबर
Source : सुनील मिश्रा