क्या सरकार ऑटो पायलट पर चल रही है? लॉकडाउन को लेकर कांग्रेस का सवाल

कांग्रेस ने कोरोना संकट से निपटने और लॉकडाउन से जुड़ी रणनीति को लेकर बुधवार को सवाल किया कि क्या केंद्र सरकार ऑटो पायलट पर चल रही है.

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Sunil Mishra
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Abhishek Manu Singhvi

Abhishek Manu Singhwi( Photo Credit : pti)

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कांग्रेस ने कोरोना संकट से निपटने और लॉकडाउन से जुड़ी रणनीति को लेकर बुधवार को सवाल किया कि क्या केंद्र सरकार ऑटो पायलट पर चल रही है और सिर्फ जनता को गुमराह कर रही है. पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी (Abhishek Manu Singhwi) ने यह आरोप भी लगाया कि कोरोना वायरस के संकट के समय विभिन्न समितियों एवं कार्यबल को दरकिनार किया जा रहा है और सिर्फ एक व्यक्ति के स्तर पर फैसले हो रहे हैं.

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उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘‘ सरकार में कोई संवेदनशीलता और क्षमता नहीं है. यह इस सरकार की पहचान बन गयी है. बिना सोचे-समझे लॉकडाउन किया गया. सिर्फ तीन मई से 18 मई के बीच मामले 28 हजार से एक लाख से ऊपर पहुंच गए हैं.’’ सिंघवी ने यह भी दावा किया कि कोरोना जांच के मामले में भारत अभी दुनिया के कई देशों से पीछे है और यहां प्रति हजार लोगों पर सिर्फ 1.67 जांच हो रही है.

उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार की ओर से गठित कोविड-19 कार्यबल ने आंकड़ों की बाजीगरी की है. सिंघवी ने कहा, ‘‘24 अप्रैल को इस कार्यबल के प्रमुख की प्रेसवार्ता में एक ग्राफ के माध्यम से दिखाया गया कि भारत में 16 मई के बाद कोविड-19 के मामले आना बंद हो जाएंगे. यह पूरी तरह गलत साबित हुआ है. नीति आयोग ने भी इसका खंडन किया है.’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘बिना योजना के आनन-फानन में अचानक घोषित किए गए लॉकडाऊन के प्रति भारत का अनुभव अच्छा नहीं रहा है. क्या सरकार ऑटो पायलट पर चल रही है? क्या सरकार बिना खेद या पश्चाताप के लोगों को गुमराह कर रही है? क्या वह अपने खुद के कार्यबल के सदस्यों को भी दरकिनार करती है?’’

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सिंघवी ने कहा कि ‘सेंटर फॉर मॉनिटरिंग द इंडियन इकॉनमी’ (सीएमआईई) के अनुसार 3 मई को भारत में बेरोजगारी की दर इस समय 27.1 प्रतिशत के उच्चतम स्तर पर है. नए आंकड़े दिखाते हैं कि भारत में बेरोजगारी के आंकड़े अमेरिका के मुकाबले चार गुना ज्यादा हैं. अप्रैल में बेरोजगारी की दर 23.5 प्रतिशत थी, जो मार्च के मुकाबले 8.7 प्रतिशत ज्यादा थी. उनके मुताबिक सीएमआईई के आंकड़े बताते हैं कि 12.2 करोड़ लोग, जिन्होंने अपनी आजीविका खो दी, उनमें 9.13 करोड़ लोग छोटे कारोबारी एवं मजदूर हैं. 1.78 करोड़ वेतनभोगियों एवं 1.82 करोड़ स्वरोजगारियों ने भी अपनी आजीविका खो दी.

Source : Bhasha

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