ISI का पैगाम... कश्मीरी आतंकी संगठन करें कम्युनिस्ट नामों का इस्तेमाल

पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (आईएसआई) ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों को निर्देश दिया है कि वे अपने संगठनों का नाम कम्युनिस्ट विचारधारा से मेल खाता हुआ रखें.

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Nihar Saxena
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पाकिस्तान पर आतंकवाद को प्रश्रय देने की बदनामी से बचाना मकसद.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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भारतीय सुरक्षा बलों की पहचान से बचने के लिए पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) ने जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकी संगठनों को निर्देश दिया है कि वे अपने संगठनों का नाम कम्युनिस्ट विचारधारा से मेल खाता हुआ रखें. सूत्रों ने बताया कि आईएसआई ने जम्मू-कश्मीर (Jammu Kashmir) में सक्रिय आतंकी संगठनों को निर्देश दिया है कि वे अपने संगठन का नाम 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' या ऐसा ही कुछ नाम रखें. सूत्रों ने यह भी कहा कि आईएसआई ने विशेष रूप से इन आतंकवादियों को कैडरों के बीच खुद को कम्युनिस्ट संगठन के रूप में प्रचारित करने के लिए कहा है.

मकसद पाकिस्तान का हाथ होने से इंकार करना
सूत्रों ने आगे कहा कि आईएसआई चिंतित है कि जम्मू-कश्मीर में किसी भी आतंकी घटना के बाद, भारत हमेशा पाकिस्तान को पर्याप्त सबूतों के साथ जिम्मेदार ठहराता है, जो घटनाओं के पीछे उसके स्पष्ट हाथ का संकेत देता है. नतीजतन अब चीन को छोड़कर अधिकांश देशों का मानना है कि पाकिस्तान अपनी धरती से आतंकवाद का समर्थन करता रहा है. आईएसआई ने आतंकवादियों को सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ के दौरान कोई धार्मिक नारे नहीं लगाने का भी निर्देश दिया है, जो पाकिस्तान की संलिप्तता पर भी उंगली उठाता है.

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फिलहाल नाम से ही पता चलता है इस्लामिक आतंकी संगठनों का
सूत्रों ने कहा, 'कश्मीर में सक्रिय आतंकवादी संगठनों के नाम जिहाद से जुड़े हैं या उनके नाम स्पष्ट करते हैं कि वे इस्लामी आतंकवादी हैं. अब वे 'यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट' या 'पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट' या इसी तरह के नामों का उपयोग कर रहे हैं, जो अति-वामपंथी समूहों द्वारा उपयोग किया जाता है, जो देश के कानून का विरोध करते हैं.' उन्होंने यह भी कहा कि इन अतिवादी समूहों को कम्युनिस्ट या वामपंथी नामों के साथ नए सोशल मीडिया अकाउंट खोलने और पहचान से बचने के लिए धार्मिक नारों का उपयोग करने से बचने के लिए कहा गया है.

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एफएटीएफ की लटक रही है तलवार
जम्मू-कश्मीर में तैनात सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि इस नई रणनीति के साथ पाकिस्तान एक तीर से दो निशाने साधना चाहता है. इसमें पहली बात यह है कि अब वह अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस और कई अन्य देशों को आश्वस्त करेगा कि वह जम्मू-कश्मीर में आतंकी गतिविधियों के लिए जिम्मेदार नहीं है. दूसरी बात यह है कि वह ऐसे आरोपों और विवाद से इसलिए भी बचना चाहता है, क्योंकि इंटरनेशनल वॉचडॉग फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की 'ब्लैक लिस्ट' उसके सिर पर तलवार की तरह लटक रही है.' पाकिस्तान जून 2018 से एफएटीएफ की 'ग्रे लिस्ट' में बना हुआ है और उसके सामने ब्लैक लिस्ट में शामिल होने का डर भी मंडराता रहता है. इस साल भी उसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है. 

HIGHLIGHTS

  • 'द रेसिस्टेंस फ्रंट' या ऐसा ही कुछ नाम रखने के दिए निर्देश
  • पाकिस्तान का हाथ छिपाने के लिए करें छद्म नाम का प्रयोग
  • इस महीने मंडरा रहा है एफएटीएफ की ब्लैक लिस्ट का खतरा
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