इसरो के चेयरमैन के. सिवन (K. Sivan) ने चंद्रयान-2 (Chandrayaan 2) के लैंडर 'विक्रम' को लेकर ताजा जानकारी दी है. उन्होंने कहा, 'हमारा लैंडर 'विक्रम' चंद्रमा की सतह से करीब 300 मीटर नजदीक तक पहुंच गया था. लैंडिंग का सबसे मुख्य और जटिल चरण पार हो चुका था. जब हम मिशन के एकदम अंत में थे, तभी संपर्क टूट गया. फिर उसके साथ (लैंडर के साथ) क्या हुआ, इसका पता हमारी नेशनल लेवल की एक कमेटी लगा रही है.' दरअसल, इससे पहले जो जानकारी थी, उसके अनुसार कहा जा रहा था कि जब लैंडर से संपर्क टूटा था, तब सतह से उसकी दूरी 2.1 किमी थी. गौरतलब है कि बीते दिनों भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) (ISRO) के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा था कि चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) मिशन ने अपना 98 फीसदी लक्ष्य हासिल किया है.
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ऑर्बिटर कर रहा काम
इसरो के चेयरमैन के. सिवन ने यह भी कहा कि चंद्रयान-2 (Chandrayaan-2) का ऑर्बिटर ठीक से काम कर रहा है और तय वैज्ञानिक प्रयोग ठीक से कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘हम कह रहे हैं कि चंद्रयान-2 ने 98 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिया है, इसके दो कारण हैं - पहला विज्ञान और दूसरा प्रौद्योगिकी प्रमाण.
इसरो का 2020 तक चंद्रमा मिशन पर ध्यान
प्रौद्योगिकी के मोर्चे पर लगभग पूरी सफलता हासिल की गई है.'' सिवन ने कहा कि इसरो 2020 तक दूसरे चंद्रमा मिशन पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. इसरो प्रमुख के. सिवन ने कहा था कि ऑर्बिटर के लिए शुरू में एक वर्ष की योजना बनाई गई थी. उन्होंने कहा कि संभावना है कि यह साढ़े सात वर्षों तक चलेगा.
उन्होंने कहा, ‘ऑर्बिटर तय विज्ञान प्रयोग पूरी संतुष्टि के साथ कर रहा है. ऑर्बिटर में आठ उपकरण हैं और आठों उपकरण अपना काम ठीक तरीके से कर रहे हैं.' आपको बता दें कि चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से चंद्रमा की सतह पर पहुंचने से ठीक पहले संपर्क टूट गया था. इसके बाद से ही इसरो के वैज्ञानिक लगातार लैंडर से संपर्क साधने और संपर्क टूटने की वजहों का पता लगाने की कोशिश में जुटे हैं.
Source : News Nation Bureau