इसरो एक बार फिर मिशन मून की तैयारी में जुट गया है. बताया जा रहा है कि चंद्रयान 2 के बाद इसरो का अगला मिशन मून और बड़ा और बेहतर होगा. इस मिशन को पूरा करने में इसरो जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस की मदद लेगा. खबरों की मानें तो इस मिशन में इसरो चांद के ध्रुवीय क्षेत्र से सैंपल ला सकता है. इस शोध मिशन के बारे में बताते हुए इसरो की ओर से कहा गया है कि इसरो और जाक्सा के वैज्ञानिक चांद के ध्रुवीय क्षेत्र की रिसर्च करने के लिए एक संयुक्त सैटेलाइट मिशन पर काम करने की संभावना पर काम कर रहे हैं.
इसरो और जाक्सा अपने इस संयुक्त मिशन को 2024 में अंजाम दे सकते हैं. वैसे चंद्रयान 2 पर भी इसरो और रूस की स्पेस एजेंसी रॉसकॉमोस एक साथ काम करने वाले थे लेकिन किसी वजह से ये हो नहीं सका और बाद में इसरो ने अपने दम पर चंद्रयान 2 को अंजाम दिया.
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वहीं शनिवार को चंद्रयान 2 (Chandrayaan-2) के लिए अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा (American Space Agency NASA) ने भारतीय स्पेस एजेंसी इसरो (ISRO) के प्रयासों की सराहना की है. नासा ने अपने ट्वीट (NASA Tweet on ISRO) में लिखा कि इसरो का यह प्रयास सराहनीय है. इसरो की इस यात्रा ने हमें भी प्रेरित किया है. नासा ने अपने ट्वीट के माध्यम से कहा कि इसरो का चांद पर लैंडर (ISRO's Lander Vikram on Moon) उतारने का प्रयास बेहद शानदार रहा. इसी के साथ नासा ने अपने ट्वीट में कहा कि आगे नासा और इसरो एक साथ अंतरिक्ष की गुत्थियां सुलझाएंगे.
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दुनियाभर के अंतरिक्ष समर्थकों और शोधकर्ताओं ने शनिवार को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) और इसके 16,000 से अधिक वैज्ञानिकों द्वारा भारत के चंद्र मिशन को करीब-करीब पूरा कर लेने के प्रयासों की तारीफ की. बता दें, चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम का चंद्रमा की सतह पर उतरते समय इसरो से संपर्क टूट गया. वहीं, 2,379 किलोग्राम का चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगा रहा है.