भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानि ISRO ने आज 29 मई 2023 को नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को लॉन्च किया. बता दें कि ISRO ने इसे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC-SHAR) से सुबह 10 : 42 पर GSLV-F12 रॉकेट के जरिए लॉन्च पैड-2 से छोड़ा गया. यह सैटेलाइट भारत और उसकी सीमाओं के चारों तरफ 1500 किलोमीटर तक नेविगेशन सेवाएं देगा. वहीं यह किसी भी स्थान की एक्यूरेट रीयल टाइम पोजिशनिंग बताएगा. यह सैटेलाइट मुख्य रूप से एल-1 बैंड के लिए सेवाएं देगा.
ISRO प्रमुख डॉ. एस सोमनाथ ने लॉन्च हुई सैटेलाइट NVS-01 पर जानकारी देते हुए बताया कि फिलहाल भारत सात पुराने नाविक सैटेलाइट्स से काम चला रहा था, लेकिन उनमें से तीन खराब हो चुके और केवल 4 काम कर रहे थे. डॉ. एस सोमनाथ ने बताया कि अगर ISRO खराब हुई तीनों सैटेलाइट को बदलते तब तक बाकि चार भी खराब हो जाते. इसे ध्यान में रखते हुए पांच नेक्स्ट जेनरेशन नाविक सैटेलाइट्स एनवीएस को छोड़ने का फैसला लिया गया.
डॉ. एस सोमनाथ ने बताया कि पहले इंडियन रीजनल नेविगेशन सिस्टम यानि IRNSS के तहत सात NavIC सैटेलाइट छोड़े गए थे, जिससे भारत में नेविगेशन सर्विसेज मिल रही थी, लेकिन इसका दायरा काफी सीमित था. इन NavIC सैटेलाइट का इस्तेमाल सेना, विमान सेवाएं आदि ही कर रहे थे, साथ ही सात में से तीन सैटेलाइट काम करना बंद करने से नए सैटेलाइट्स का नक्षत्र बनाने का जिम्मा उठाया.
बता दें कि ये सैटेलाइट NVS-01 अगले 12 साल तक काम करेगी. ये सैटेलाइट NVS-01 दो सोलर पैनल से एनर्जी लेगा, जिससे इस 2.4kW की ऊर्जा प्राप्त होगी. इसके अतिरिक्त सैटेलाइट में लगे लिथियम-आयन बैटरी की चार्जिंग भी होगी. मालूम हो कि इस बार इस नेविगेशन सैटेलाइट में स्वदेश निर्मित रूबिडियम एटॉमिक क्लॉक का इस्तेमाल भी किया जा रहा है, जो बेहतरीन और सटीक लोकेशन, पोजिशन और टाइमिंग बताने में मदद करती है. इस खड़ी को अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर में बनाया गया है. ध्यान रहे कि ऐसी परमाणु घड़ियां रखने वाले गिने-चुने ही देश हैं.
क्या करेगी सैटेलाइट NVS-01
- जमीनी, हवाई और समुद्री नेविगेशन
- इमरजेंसी सर्विसेस
- मोबाइल में लोकेशन बेस्ड सर्विसेस
- इंटरनेट ऑफ थिंग्स
- स्ट्रैटेजिक एप्लीकेशन
- कृषि संबंधी जानकारी
- जियोडेटिक सर्वे
- फ्लीट मैनेजमेंट
- सैटेलाइट्स के लिए ऑर्बिट पता करना
- मरीन फिशरीज
Source : News Nation Bureau