ISRO: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने पिछले साल चंद्रयान-3 और आदित्य एल1 को लॉन्च कर बड़ी सफलता पाई. अब इसरो अंतरिक्ष में अपना खुद का स्पेस स्टेशन बनाने जा रहा है. इसके लिए तैयारियां शुरू की जा रही हैं और अगले साल भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्पेश में स्थापित हो जाएगा. इसके लिए इसरो पहले राउंड की टेस्टिंग को अगले साल शुरू कर सकता है. इसरो प्रमुख एस सोमनान ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि साल 2028 तक भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन को स्थापित कर देगा. उन्होंने कहा कि भारत अपनी मौजूदा क्षमताओं का इस्तेमाल करते हुए 2028 तक इस लक्ष्य को हासिल करना चाहता है.
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इसरो प्रमुख ने कहा कि स्पेस एजेंसी इसे प्रयोगशाला में बदलना चाहेगी जहां जाकर प्रयोग किया जा सके. बता दें कि गुरुवार (18 जनवरी) को फरीदाबाद में भारत अंतरराष्ट्रीय विज्ञान महोत्सव के मौके पर उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष एजेंसी मौजूदा वक्त में भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने पर ध्यान दे रही है. जिसका शुरुआती वर्जन 2028 तक आने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि, अगले साल तक हम अंतरिक्ष स्टेशन के लिए पहले दौर का परीक्षण करने की उम्मीद कर रहे हैं.
ये होंगी शुरुआती वर्जन की खासियत
बता दें कि इससे पहले पिछले सालव इसरो प्रमुख ने पुष्टि की थी कि 2035 में अंतिम अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित होने से पहले, अंतरिक्ष एजेंसी 2028 में एक शुरुआती वर्जन स्थापित करेगी. जिसमें एक क्रू कमांड मॉड्यूल, हैबिटेट मॉड्यूल, प्रोपल्शन मॉड्यूल और डॉकिंग पोर्ट होंगे. वहीं पूरे कैप्सूल का द्रव्यमान लगभग 25 टन हो सकता है. जिसे भविष्य में स्टेशन के विस्तार के आधार पर बढ़ाया जा सकेगा. एस सोमनाथ ने कहा कि, अंतरिक्ष स्टेशन का एक बुनियादी मॉडल 2028 तक कक्षा में स्थापित हो सकता है. सोमनाथ ने कहा कि 2035 तक हमारे पास इसका पूर्ण, विस्तारित संस्करण होगा. इसके साथ ही इसरो प्रमुख ने कहा कि मैं कुछ डिजाइनों की समीक्षा कर रहा हूं.
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इसरो की ये है प्लानिंग
इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने 10वें वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट के दौरान अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन को लेकर आयोजित हुई संगोष्ठी में कहा था कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की स्थापना के बाद इसरो ऐसी कंपनियों और संस्थाओं का पता लगाएगा, जो भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन का उपयोग कर सकेंगे. इसके माध्यम से आर्थिक गतिविधियां कर सकेंगे. उन्होंने कहा था कि उनका मानना है कि यह संभव है. सोमनाथ ने कहा कि चंद्रमा पर मानव के पहुंचने का भी आर्थिक प्रभाव होगा. उन्होंने कहा कि भविष्य में केवल पृथ्वी के इर्द-गिर्द ही रणनीतिक गतिविधियां नहीं होंगी. उद्योगों को पृथ्वी पर तमाम कामों के लिए अगले पांच से 10 साल में सैकड़ों अंतरिक्ष यान बनाने की जरूरत पड़ेगी.
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Source : News Nation Bureau