मंगलवार को एक आरटीआई कार्यकर्ता ने इस बात का दावा किया कि आरटीआई के तहत राजनीतिक दलों के कर रिटर्न पर पूछे गए सवाल में इनकम टैक्स विभाग ने एक 'विरोधाभासी' जवाब दिया है. आरटीआई कार्यकर्ता ने बताया कि पहले तो इनकम टैक्स विभाग ने उससे कहा जो सूचना उसने मांगी है उस सूचना का जवाब उसके पास नहीं है. इसके अलावा अधिकारियों ने छूट खंड का हवाला देते हुए मांगी गई सूचना को सार्वजनिक करने से इनकार कर दिया. आपको बता दें कि साल 2008 में केंद्रीय सूचना आयोग ने आरटीआई मामलों के सर्वोच्च निर्णायक ने ये आदेश दिया था कि पारदर्शिता कानून के तहत राजनीतिक दलों के आयकर रिटर्न के बारे में जानाकारी को सार्वजनिक किया जाना चाहिए.
आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक जो कि पिछले 10 सालों से राजनीतिक दलों द्वारा दाखिल किए गये आयकर रिटर्न के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए आयकर विभाग से संपर्क किया था. वेंकटेश को आरटीआई के जवाब में बताया गया कि, अनुरोधित जानकारी को सीपीआईओ द्वारा रजिस्टर्ड जानकारी के रूप में नहीं रखा गया है और न ही अनुरोध की गई जानकारी को सीपीआईओ द्वारा मौजूदा नियमों या विनियमों के तहत बनाए रखा जाना आवश्यक है.
सीपीआईओ (CPIO) ने आरटीआई अधिनियम के 10 छूट खंडों में से 5 का हवाला देते हुए आरटीआई में अंडरलाइन की गई मांगी गई जानकारी को देने से इनकार किया और कहा कि ये जानकारी उनके पास नहीं है और इसके लिए प्रकटीकरण से छूट है रेखांकित किया कि मांगी गई जानकारी उसके पास नहीं है और इसके लिए प्रकटीकरण से छूट है. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक आईटी विभाग के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने कहा कि मांगी गई जानकारी सार्वजनिक प्राधिकरण के रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है और किसी कानून या विनियमों के तहत इसे बनाए रखने की आवश्यकता नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट के एक और आदेश में ये कहा गया है कि, एक संबंधित जानकारी व्यक्तिगत जानकारी है और आरटीआई अधिनियम के तहत प्रकटीकरण से मुक्त है. वेंकटेश नायक ने मीडिया से बातचीत करते हुए बताया कि सीपीआईओ ने आरटीआई एप्लीकेशन का पूरी तरह से विरोधाभासी जवाब दिया है. पहले जवाब में उन्होंने ये दावा किया है कि उनके पास उस सूचना की जानकारी नहीं है और दूसरा ये दावा किया है कि किया गया कि सूचना वांछित रूप में उपलब्ध नहीं है जैसा कि आरटीआई आवेदन में बताया गया है.
Source : IANS/News Nation Bureau