भारत में क्रिप्टोकरेंसी इस समय का सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है. मोदी सरकार इसे प्रबंधित करने के लिए बिल भी तैयार कर लिया गया है. हालांकि, इसका चालू शीतकालीन सत्र में पास होना मुश्किल है. इस बीच अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर भारत में जारी सरगर्मी पर कहा कि क्रिप्टोकरेंसी पर बैन लगाने के बजाय, इसे लेकर नियामक बनाना बेहद जरूरी है. आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता ने कहा कि उभरती अर्थव्यवस्थाओं को क्रिप्टोकरेंसी पर रोक लगाने के बजाय रेगुलेट करना चाहिए. उन्होंने इस पर एक वैश्विक नीति बनाने का भी सुझाव दिया.
गोपीनाथ ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि इस पर प्रतिबंध लगाने की राह में कई तरह की चुनौतियां मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि क्या आप वास्तव में क्रिप्टो पर प्रतिबंध लगा सकते हैं, क्योंकि कई एक्सचेंज ऑफशोर हैं और वे किसी विशेष देश के नियमों के अधीन नहीं हैं.
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वैश्विक नीति की वकालत करते हुए गीता गोपीनाथ ने कहा कि कोई भी देश इस समस्या को अपने दम पर हल नहीं कर सकता है, क्योंकि क्रिप्टोकरेंसी ट्रांजैक्शन आसानी से सीमा पार से किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि इस पर तत्काल एक वैश्विक नीति की जरूरत है. मुख्य अर्थशास्त्री ने कहा कि क्रिप्टोकरेंसी फिलहाल के लिए वैश्विक खतरा नहीं है. लेकिन बिना नियामक के इस कारोबार को लेकर कई प्रकार की आशंकाएं सामने आती है, जिनका ध्यान रखा जाना बेहद जरूरी है.
49 वर्षीय प्रमुख भारतीय-अमेरिकी अर्थशास्त्री जनवरी 2019 में मुख्य अर्थशास्त्री के रूप में आईएमएफ में शामिल हुई थी. मैसूर में जन्मी गोपीनाथ वैश्विक वित्तीय संस्थान की पहली महिला मुख्य अर्थशास्त्री हैं. गीता गोपीनाथ दिग्गज अर्थशास्त्रियों में से एक हैं और उन्हें अंतरराष्ट्रीय वित्त और मैक्रोइकनॉमिक्स संबंधी शोध के लिए भी जाना जाता है. इसके अलावा साल 2019 में उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान दिया गया था. यह साल 2019 से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में काम कर रही हैं और हाल ही में गीता गोपीनाथ को मुख्य अर्थशास्त्री नियुक्त किया गया है.
क्रिप्टोकरेंसी को लेकर रिजर्व बैंक ने तैयारी तेज कर दी है. लखनऊ में 17 दिसंबर को आरबीआई के केन्द्रीय बोर्ड की बैठक होने जा रही है. सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में क्रिप्टोकरेंसी पर गंभीरता से चर्चा होने की उम्मीद है. एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि आरबीआई क्रिप्टो को नियामकीय दायरे में लाने को लेकर बेहद सजग है और छोटे निवेशकों के हितों की सुरक्षा के साथ क्रिप्टोकरेंसी के गलत उपयोग को लेकर बेहद चिंतित है. माना जा रहा है कि केन्द्रीय बोर्ड की बैठक में इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार होगा. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास कई बार जोर देकर कह चुके हैं कि छोटे निवेशकों की इसमें बढ़ती हिस्सेदारी और इसके दाम में उतार-चढ़ाव चिंता पैदा करते हैं.
HIGHLIGHTS
- क्रिप्टोकरेंसी को लेकर रिजर्व बैंक ने तैयारी तेज कर दी है
- 17 दिसंबर को आरबीआई के केन्द्रीय बोर्ड की बैठक होने जा रही है
- मोदी सरकार इसे प्रबंधित करने के लिए बिल भी तैयार कर लिया है