केरल हाई कोर्ट ने नए आईटी नियमों के अनुपालन को लेकर न्यूज़ चैनलों को बड़ी राहत दी है. अदालत ने निजी न्यूज़ चैनलों की संस्था न्यूज़ ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन यानी एनबीए का पक्ष लेते हुए आदेश दिया कि फ़िलहाल नये आईटी नियमों को लागू नहीं करने के लिए कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए. एनबीए ने आईटी नियमों को इस आधार पर हाई कोर्ट में चुनौती दी कि वे सरकारी अधिकारियों को मीडिया के अधिकार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अनुचित रूप से प्रतिबंधित करने के लिए अत्यधिक अधिकार देते हैं. एनबीए का कहना है कि नये सूचना प्रौद्योगिकी नियम 2021 कानून के समक्ष समानता पर संविधान के अनुच्छेद 14 और कोई भी पेशा चुनने की स्वतंत्रता के अधिकार पर अनुच्छेद 19 का उल्लंघन करते हैं.
एनबीए को इस पर थी आपत्ति
एनबीए ने कहा है कि नये आईटी नियमों के तहत निगरानी के ऐसे तंत्र से डिजिटल मीडिया सामग्री को नियंत्रित करने की कार्यपालिका को असीमित शक्ति मिल जाएगी. प्रसारकों ने अपनी याचिका में यह भी कहा है कि नए नियमों के आधार पर, मीडिया के 'स्व-विनियमन' तंत्र को एक 'वैधानिक रूप' दिया गया है. इसने बयान में कहा है कि एक 'संयुक्त सचिव' को सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश के आदेश के ऊपर बैठाना अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया से समझौता होगा.
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हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
केरल उच्च न्यायालय में एनबीए की याचिका डिजिटल मीडिया संगठनों द्वारा देश भर के उच्च न्यायालयों में नियमों की वैधता को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं में से एक है. हाई कोर्ट ने केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों को नोटिस जारी किया है. इस पर जवाब देने के लिए तीन हफ़्ते का समय दिया गया है. डीएनपीए ने भी कोर्ट से कहा है कि आईटी नियम 2021 संविधान में मिली समानता एवं अभिव्यक्ति और व्यवसाय चुनने की आज़ादी का उल्लंघन करते हैं.
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2018 में गठन हुआ था डीएनपीए
कोर्ट में याचिका दायर करने वाले डीएनपीए का गठन 2018 में किया गया था. डीएनपीए ने कहा है कि नियम 2000 के आईटी अधिनियम के दायरे में नहीं आने वाली संस्थाओं के संचालन को नये नियम 2021 क़ानून के दायरे में लाने का प्रयास करते हैं. याचिका में यह भी कहा गया है कि ये नये नियम पारंपरिक मीडिया संगठनों पर अति-विनियमन का बोझ थोपते हैं. वे आईटी अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं.
HIGHLIGHTS
- नये आईटी नियमों को लागू नहीं करने पर कोई कठोर कार्रवाई नहीं की जाए
- केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालयों को नोटिस
- जवाब देने के लिए तीन हफ़्ते का समय दिया केरल हाई कोर्ट ने