भारत-चीन के बीच जारी गतिरोध और तनाव के बीच पूर्वी लद्दाख में हिंदुस्तानी जांबाजों ने पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सैनिकों को करारी शिकस्त दी थी. इसके बाद न सिर्फ तनाव बढ़ा, बल्कि कई स्तर की बातचीत के बावजूद स्थितियां सामान्य नहीं हो सकी है. इस तनाव के बीच अरुणाचल प्रदेश में तवांग सीमा पर तैनात आईटीबीपी के जवान पूरी मुस्तैदी से डटे हुए हैं और चीन के किसी भी अप्रत्याशित कदम का माकूल जवाब देने की तैयारी से लैस हैं. आईटीबीपी के बुलंद हौसलों को बयान करने के लिए वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटी आईटीबीपी की अग्रणी चौकी पर लगा साइन बोर्ड ही काफी है. इस पर लिखा हुआ है एक दिन शेर की तरह जीना काफी है बनिस्पत सौ दिन भेड़ की तरह जीने से.
फौलादी जिगर और साहस
इस साइनबोर्ड पर लिखा यह कथन भारतीय सैनिकों के फौलादी जिगर और साहस को बयां करता है. गौरतलब है कि यह कथन भारत को गुलाम बनाने वाली ईस्ट इंडिया कंपनी से आखिरी सांस तक लड़ने वाले मैसूर के शासक टीपू सुल्तान ने खुद के लिए कहा था. यूं तो आईटीबीपी चौकी पर लगा यह साइनबोर्ड काफी पुराना है, लेकिन चीन के साथ जारी तनाव के बीच यह कथन दुश्मन देश को आंख दिखाने जैसा है.
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हाई रेडिनेस मोड पर जवान
आईटीपीबी की 55 बटालियन के कमांडर कमांडेंट आईबी झा ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, 'तवांग सेक्टर में आईटीपीबी के जवान हर लिहाज से हर समय रहते हैं. लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ के बाद हर समय हाई रेडिनेस मोड में रहना जरूरी हो जाता है. इस तरह ही हम चीनी की किसी भी गुस्ताखी का समय पर मुंहतोड़ जवाब दे सकेंगे. लद्दाख में हमारे जवानों ने बहादुरी से मुकाबला किया और अपने फौलादी इरादे जाहिर कर दिए. ऐसे में यहां तैनात हमारे जवान मौका पड़ने पर उनसे बेहतर पराक्रम दिखाने का हौसला रखते हैं.'
चीन की हर हरकत को माकूल जवाब
एएलसी के नजदीक पिछले 7 महीने से भारतीय सैनिक डटे हुए हैं और चीन की हर कायराना हरकत का माकूल जवाब दे रहे हैं. बेहद सर्द मौसम में कठिनाइयों के बीच भी सैनिकों का हौसला कम नहीं हुआ है. इस दुर्गम माहौल में भारतीय सैनिकों के लिए पहाड़ी जानवर याक बेहद महत्वपूर्ण साबित हो रहे हैं जिनके जरिए ऊंचे और दुर्गम स्थानों तक सैन्य टुकड़ियों को ईधन पहुंचाया जा रहा है. तवांग सेक्टर में आईटीबीपी चौकी में तैनात एक जवान ने बताया कि याक 90 किलो वजन तक की ढुलाई कर सकते हैं.
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15,500 फीट ऊंचाई पर ठहरे हैं जवान
आईटीबीपी जवान ने बताया, 'हम 15,500 फीट ऊंचाई पर स्थित अग्रणी चौकियों में ठहरे सैनिकों के लिए ईधन जैसे जरूरी चीजों की आपूर्ति कर रहे हैं. इसके लिए हम याक का इस्तेमाल करते हैं. याक की खासियत है कि ये खड़े पहाड़ों पर 90 किलो वजन के साथ चढ़ सकते हैं.' बता दें कि एलएसी पर भारत और चीन के बीच तनाव अभी समाप्त नहीं हुआ है. दोनों देशों ने मौजूदा द्विपक्षीय समझौतों और प्रोटोकॉल्स के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में एलएसी से सैनिकों के जल्दी और पूरी तरह वापसी के लिए अगले दौर की सैन्य स्तर की बातचीत पर सहमति जताई है. सीमा विवाद को लेकर आखिरी बातचीत 18 दिसंबर को संपन्न हुई थी.