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46 साल बाद खुला जगन्नाथ मंदिर का खजाना, रत्न भंडार में ऐसा क्या.. जिसे रखा गया रहस्य, जानें पूरी कहानी

46 साल बाद पुरी के जगन्नाथ मंदिर का खजाना रविवार को खोला गया. भक्तों में हमेशा उत्सुकता रही है कि भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार में ऐसा क्या, जिसे अभी तक छुपा रखा गया, जो अभी तक उनके सामने नहीं आ पाया था.

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Ajay Bhartia
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जगन्नाथ मंदिर का खजाना( Photo Credit : Social Media)

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Jagannath Mandir Treasure: 46 साल बाद पुरी के जगन्नाथ मंदिर का खजाना आज यानी रविवार दोपहर 1:28 बजे खोल दिया गया. इस दौरान भंडार गृह में सरकार के प्रतिनिधि, ASI के अधिकारी, मंदिर समिति के गजपति महाराज के प्रतिनिधि समेत 11 लोग मौजूद हैं. सरकार रत्न भंडार में मौजूद कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग करेगी, जिसमें उनके वजन और निर्माण जैसे डिटेल होंगे. भक्तों में हमेशा उत्सुकता रही है कि भगवान जगन्नाथ के रत्न भंडार में ऐसा क्या, जिसे अभी तक छुपा रखा गया, जो उनके सामने नहीं आ पाया था. आइए पूरी कहानी जानते हैं.

रत्न भंडार से निकले बड़े-बड़े संदूक 

रत्न भंडार के खुलने के बाद जगन्नाथ पुरी मंदिर के बाहर जब लकड़े के बड़े-बड़े संदूक लाए गए तो भक्तों की भारी भीड़ जय-जयकार कर उठी. दशकों बाद आखिरकार भगवान के बेशकीमती खजाने का रहस्य जो खुलने जा रहा था. इन्हीं संदूकों में भर कर भगवान जगन्नाथ के खजाने को रत्न भंडार से बाहर लाने की तैयारी थी. वो रत्न भंडार, जिनमें अरबों की अकूत दौलत भरी पड़ी है, जिसमें बेशकीमती हीरे-जवाहरात और सोने-चांदी भरे पड़े हैं. 

मंदिर के आसपास सुरक्षा के भारी इंतजाम

सालों चली संबी प्रक्रिया के बाद आखिरकार जब रविवार को खजाने को खोलने की प्रक्रिया शुरू हुई तो लगा जैसे भगवान के रत्न भंडार के साथ-साथ रहस्यों का खजाना भी खुलने जा रहा है. भगवान के इस रत्न भंडार में कितनी दौलत भरी पड़ी और उसकी अहमियत क्या है ये इसी बात से समझ सकते हैं कि इसके लिए मंदिर के आस-पास भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए थे. ऐसी सुरक्षा व्यवस्था कि परिंदा भी पर न मार सके. 

कैसे शुरू हुई रत्न भंडार खोलने की प्रक्रिया

रत्न भंडार को खोलने से पहले अग्नया रस्म अदा की गई, जिसमें खजाने की मालिक देवी बिमला और देवी लक्ष्मी की मंजरी ली गई. अंत में इसके देखभालकर्ता भगवान लोकनाथ की मंजूरी ली गई. समिति के सदस्यों ने दोपहर 12 बजे पारंपरिक पोशाक में मंदिर में प्रवेश किया. इसके बाद उन्होंने सारी रस्मों को पूरा किया. खजाना खोलने से पहले लकड़ी के 6 बड़े-बड़े और भारी-भरकम संदूक मंगाए. ये संदूक इतने भारी थे कि एक संदूक को उठाने के लिए 8 से 10 लोगों को लगना पड़ा.

इसके बाद जगन्नाथ मंदिर के खजाने को रविवार 14 जुलाई को दोपहर 1:28 बजे खोल दिया गया. इस दौरान भंडार में सरकार के प्रतिनिधि, ASI के अधिकारी, श्री गजपति महाराज के प्रतिनिधि समेत 11 लोग मौजूद थे. रत्न भंडार में मौजूद कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग की जाएगी. इस लिस्टिंग में वजन और निर्माण जैसे डिटेल होंगे. इसके अलावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के इंजीनियर्स मरम्मत कार्य के लिए रत्न भंडार का सर्वे करेंगे. 

ओडिशा की डिप्सी सीएम प्रवती परिदा ने बताया कि हम आज से वहीं पर रुकेंगे और देखेंगे कि गिनती आराम से हो. पिछली सरकार ने रत्न भंडार को रहस्य बनाकर रखा था. रत्न भंडार की बार-बार गिनती होनी चाहिए.

पहले ही कर लगी गई थीं ये तैयारियां

रत्न भंडार खोलने से पहले मंदिर में सारी तैयारियां पूरी कर ली गई. बड़े-बड़े लकड़ी के बक्शे भी मंगाए गए, जिसमें रत्न और आभूषणों को रखा गया. मंदिर प्रशासन ने पूरे प्रोसेस के लिए 3 स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर्स यानि SOPs बनाई, जिसके मुताबिक- पहला- रत्न भंडार को फिर से खोलने से संबंधित है. दूसरा- अस्थायी रत्न भंडार के प्रबंधन के लिए है.  तीसरा- कीमती सामानों की सूची से संबंधित है.

भगवान जगन्नाथ मंदिर के रत्नभंडार में भगवान जगन्नाथ, बलराम और सुभद्रा के आभूषण रखे हुए हैं. रत्न भंडार दो हिस्सों में बंटा है. पहला-- बाहरी भंडार जिसमें भगवान को अक्सर पहनाए जाने वाले जेवरात रखे जाते हैं. दूसरा- भीतरी भंडार जिसमें, वो जेवरात रखे जाते हैं जो इस्तेमाल में नहीं लाए जाते. रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा अभी भी खुला है, लेकिन भीतरी भंडार पिछले कई सालों से नहीं खुला.

रत्न भंडार में ऐसा क्या, जिसे रखा गया रहस्य, 

चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था. इस मंदिर में एक रत्न भंडार है. कहा जाता है कि इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के गहने रखे गए हैं. कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को सोने-चांदी के गहने और बेशकीमती रत्न चढ़ाए थे. उन सभी को इस रत्न भंडार में रखा जाता है. इस रत्न भंडार में मौजूद जेवरात की कीमत बेशकीमती बताई जाती है. आज तक इसका पूरी तरह मूल्यांकन नहीं किया जा सका है. 

जगन्नाथ मंदिर प्रशासन की ओर से हाई कोर्ट में दिए हलफनामे के मुताबिक, रत्न भंडार में तीन कमरे हैं. 25 बाई 40 वर्ग फुट के अंदर के कमरे में 50 किलो 600 ग्राम सोना और 134 किलो 50 ग्राम चांदी है. इनका कभी इस्तेमाल नहीं हुआ. बाहरी कक्ष में 95 किलो 320 ग्राम सोना और 19 किलो 480 ग्राम चांदी है. इन्हें त्योहार पर निकाला जाता है. वहीं, वर्तमान कक्ष में तीन किलो 480 ग्राम सोना और 30 किलो 350 ग्राम चांदी है. 

कब-कब खुल चुका है रत्न भंडार

मंदिर प्रबंधन समिति के मुताबिक इससे पहले रत्न भंडार 1905, 1926 और 1978 में खोला गया था और बेशकीमती चीजों की लिस्ट बनाई गई थी. वर्ष 1978 में इस रत्नभंडार का आखिरी सर्वे किया गया था, जिसके मुताबिक मंदिर के रत्नभंडार में कुल 149 किलो सोना मौजूद है, जिसमें भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के गहने शामिल हैं. तब इसकी कुल कीमत करीब 111 करोड़ रुपए आंकी गई थी. इसके अलावा मंदिर में 258 किलो चांदी के गहने और आभूषण भी शामिल थे, जिनकी कीमत भी करोड़ों में आंकी गई थी. 

रत्न भंडार को अंतिम बार 14 जुलाई 1985 में खोला गया था. उस समय इसकी मरम्मत करके इसे बंद कर दिया गया था. इसके बाद रत्न भंडार कभी नहीं खुला. हालांकि प्रमुख त्योहारों के दौरान भी देवताओं की पोषाक लाने के लिए रत्न भंडार के बाहरी कक्ष को खोला जाता है. लेकिन मंदिर का आंतरिक कक्ष पिछले 39 वर्षों से नहीं खोला गया था. बताया जाता है कि रत्न भंडार भगवान जगन्नाथ के चरणों के ठीक नीचे बना है. जिसमें मंदिर में विराजमान देवताओं के आभूषणों के अलावा राजा-महाराजाओं के चढ़ाए हुए जेवरात शामिल हैं. 

बताते हैं कि मंदिर के तहखाने में भीतरी और बाहरी दो अलग-अलग रत्न भंडार हैं. बाहरी रत्न भंडार में भगवान के ऋंगार के लिए इस्तेमाल होने वाले जेवर रखे जाते हैं. बाहरी रत्न भंडार को समय-समय पर खोला जाता रहा है, जबकि मंदिर का भीतरी रत्न भंडार लगभग चार दशक से बंद है. इस भीतरी रत्न भंडार में कीमती जेवर, उपहार और चढ़ावा मौजूद है. 

अबतक क्यों नहीं खोला गया था रत्न भंडार

सवाल ये है कि जब बाहरी रत्न भंडार को खोला जाता रहा है तो फिर भीतरी रत्न भंडार दशकों से बंद क्यों था. तो इस सवाल का जवाब तब मिला जब ये दावा किया गया है कि रत्नभंडार के भीतरी कक्ष की चाबी पिछले 6 साल से गुम है. रत्न भंडार की चाबी का खोना कितना पड़ा मुद्दा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि चुनाव प्रचार के दौरान भी रत्न भंडार की चाबी खोने का मुद्दा खूब उछला था.

2018 में रत्न भंडार की चाबियां खोने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने मामले की जांच के आदेश दिए थे. जांच के लिए गठित कमेटी ने करीब 2 हफ्ते बाद एक लिफाफा मिलने की बात कही थी, जिसपर लिखा था भीतरी रत्न भंडार की डुप्लीकेट चाबी. इस लिफाफे के साथ जांच कमेटी ने 29 नवंबर 2018 को 324 पन्नों की रिपोर्ट भी राज्य सरकार को सौंप दी थी. रिपोर्ट में क्या था ये आज तक सार्वजनिक नहीं किया गया और ना ही रत्नभंडार की खोई हुई चाबी को लेकर कोई जानकारी सामने आई. लिहाजा 39 साल से मंदिर का भीतरी रत्नभंडार खोला नहीं जा सका. 

क्या है नियम?

जगन्नाथ मंदिर नियम 1955 में कहा गया है कि रत्न भंडार में रखे गए आभूषणों का हर 6 महीने में ऑडिट किया जाना चाहिए. नियमों में ये तक बताया गया है कि आभूषणों की जवाबदेही किसकी होगी. ऑडिट कैसे किया जाना चाहिए और रत्नभंडार की चाबियां किसके पास रहेंगी. आभूषणों को रत्न भंडार के इनर चेंबर में रखा जाता है, जो 2 तालों वालों से सील होता है, जिसकी एक चाबी श्री जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासन के पास होती है जबकि दूसरे चाबी मंदिर के मामलों के लिए जिम्मेदार अधिकारी पट्टाजोशी महापात्र के पास होती है. इन तालों को सिर्फ राज्य सरकार की अनुमति के बाद ही खोला जा सकता है. मंदिर के भीतरी रत्न भंडार को आखिरी बार 1985 में खोला गया था. लेकिन तब गहनों का ऑडिट नहीं किया गया था. भगवान जगन्नाथ के खजाने की आखिरी बार लिस्टिंग 1978 यानि 45 साल पहले ही हुई थी. इन 45 सालों में मंदिर के पास कितना चढ़ावा आया, इसके बारे में बता पाना मुश्किल है.

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Source : News Nation Bureau

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